जिला अस्पताल में आग लगी तो भगवान भरोसे होंगे मरीज

हल्द्वानी नैनीताल : एक दिन पूर्व ही भोपाल के हमदिया अस्पताल में आग लगने से चार बच्चों की मृत्यु हो गई। नैनीताल में भी कई सरकारी व निजी संपत्तियों में बड़ी आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद अग्निशमन विभाग चेतने का नाम नहीं ले रहा। बीडी पांडे अस्पताल व महिला अस्पताल में यदि इस तरह की अनहोनी हुई तो आग से बचाव के यहां कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं।
जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि अस्पताल में आग बुझाने के लिए पानी के हाईड्रेंट तक उपलब्ध नहीं है। अस्पताल के ऊपरी मंजिल से नीचे पहुंचने को केवल संकरी सीढ़ियां एकमात्र रास्ता हैं। अस्पताल की दीवारों पर आग बुझाने के उपकरण तो लगाए गए हैं।
पर इन पर एक्सपायरी डेट अंकित नहीं की है। अस्पताल के पीएमएस डॉ. केएस धामी ने बताया अस्पताल में मानक के अनुसार हर स्थान पर अग्निशमन उपकरण स्थापित किए गए हैं। इनका समय-समय पर निरीक्षण भी होता है। हाईड्रेंट की जरूरत भी है जिसे स्थापित करने को दो माह पहले ही प्रस्ताव बनाकर भेजा है।
आने और जाने का एक ही रास्ता: हल्द्वानी के निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने और अस्पताल के पास सीमित जमीन होने के चलते रास्तों को कम कर दिया गया है। शहर के ज्यादातर अस्पतालों के भीतर जाने और बाहर आने का एक रास्ता है। ऐसे में हादसा होने की स्थित में मरीज के बाहर निकलना मुश्किल होगा।
हल्द्वानी शहर के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन अस्पतालों में सुरक्षा के इंतजाम नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कभी कोई हादसा हुआ तो मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालना भी मुश्किल होगा। हेल्थ इंश्योरेंश का प्रचलन बढ़ने के बाद से प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। ओपीडी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पताल भर्ती मरीजों से भी पैक रहते हैं। मरीजों की संख्या बढ़ती देख अस्पतालों ने किसी तरह आईसीयू-एनआईसीयू समेत कई सुविधाएं भी जुटा ली हैं।
नियमानुसार हर व्यवसायिक गतिविधि वाले संस्थान को अग्निशमन विभाग से फायर की एनओसी लेनी होती है। जिसका अर्थ होता है कि उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठान में अग्निशमन के सभी नियमानुसार इंतजाम हैं। हर साल निरीक्षण के बाद ही यह एनओसी जारी की जाती है। पर नैनीताल के अधिकांश व्यवसायिक प्रतिष्ठान इन मानकों पर खरा नहीं उतरते। इसके बावजूद नियमों को दरकिनार कर फायर एनओसी दी जाती है।
नैनीताल रोड के पास शहर का एक पुराना नामी अस्पताल अपनी सुविधाओं के लिए जाना जाता है। लेकिन इस अस्पताल तक वाहन में मरीज को लाना और ले जाना एक चुनौती होती है। आग लगने पर फायर ब्रिगेड का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल भी है। आईसीयू-एनआईसीयू तक जाने के लिए संकरी सीढ़ी हैं। इसी रोड पर एक निजी अस्पताल की सड़क पर पार्किंग है। रास्ता इतना संकरा है कि दुर्घटना की स्थिति में अस्पताल के भीतर तक घुसना मुश्किल होगा। उपकरण का इस्तेमाल करना तक किसी को नहीं आता है।
रामपुर रोड में नहर कवरिंग रोड के पास एक निजी अस्पताल चारों तरफ से घिरा है। अस्पताल में पार्किंग नहीं होने से सड़क पर वाहन खड़े रहते हैं जिससे जाम लगा रहता है। मरीजों से पैक रहने वाले इस अस्पताल में संकरी गलियों से आईसीयू तक पहुंचा जाता है। इसी तरह मुखानी चौराहे के समीप एक अस्पताल यहां जाम का बड़ा कारण हैं। पार्किंग नहीं होने के चलते तीमारदार सड़कों पर वाहन पार्क करते हैं। मरीजों की अच्छी संख्या होने के चलते कई सारे बेड अस्पताल में लगाए गए हैं। जिनके बीच में पर्दे डाल दिए गए हैं।डॉ. केएस धामी, पीएमएस बीडी पांडे ने कहा अस्पताल नैनीताल अस्पताल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम में मानकों के आधार पर अग्निशमन उपकरण स्थापित हैं। जिनका समय-समय पर निरीक्षण व परीक्षण अग्नि शमन विभाग की ओर से किया जाता है। परिसर में हाईड्रेंट स्थापित करने को प्रस्ताव बना कर शासन को भेजा गया है।डॉ. तृप्ति बहुगुणा, स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन संबंधी इंतजामों को लेकर पत्र जारी किए जा रहे हैं। टीम को विभिन्न अस्पतालों में जांच के लिए भेजा जाएगा। जिन अस्पतालों में कमी पायी जाएगी उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
संजीवा कुमार, सीएफओ, नैनीताल ने कहा जिले में काफी पुराने अस्पताल हैं जिनमें अग्निशमन संबंधी व्यवस्थाएं दुरुस्थ नहीं हैं। ऐसे अस्पतालों को नोटिस देकर व्यवस्थाओं को ठीक कराया जा रहा है। रामनगर, नैनीताल और हल्द्वानी तीनों केन्द्रों के प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट दें।