दिल्ली

जारी है कांग्रेस में भगदड़

 

नई दिल्ली. बीते समय के दौरान कांग्रेस पार्टी से दूसरे पार्टियों में जाने वाले नेताओं की संख्या लगातार बढ़ती रही है. कांग्रेस छोड़कर नेताओं ने समाजवादी पार्टी , भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा है. ऐसे ही एक नेता हैं ललितेश पति त्रिपाठी . ललितेश ने भी सोमवार को आधिकारिक तौर पर तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी के पड़पोते ललितेश यूपी के पूर्वांचल इलाके से आते हैं. यूपी की इंचार्ज बनने के बाद प्रियंका गांधी ने जब गंगा यात्रा निकाली थी तब अखिलेश की तस्वीरें अक्सर उनके साथ दिखाई देती थीं. ललितेश को यूपी कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया था. साथ ही उन्होंने मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था.

ललितेश त्रिपाठी के कांग्रेस छोड़ने को भले ही बड़े नुकसान के तौर पर न प्रदर्शित किया जाए लेकिन इसके प्रभाव काफी बड़े हैं. इसका मतलब ये है कि प्रियंका के मजबूत प्रयासों के बावजूद नेता अभी कांग्रेस को बीजेपी के विकल्प के तौर पर नहीं देख रहे हैं. समाजवादी पार्टी और तृणमूल इस मामले में कांग्रेस के गंभीर विपक्षी बनकर उभर रहे हैं.
ये दल विपक्षी एकता की बात करते हुए कांग्रेसी नेताओं को अपने पाले में लाने का मौका नहीं चूक रहे. हालांकि व्यक्तिगत तौर पर ममता बनर्जी ने राहुल गांधी की तुलना में प्रियंका गांधी को तरजीह दी थी. लेकिन इसके बावजूद ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की बजाए कांग्रेस के एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को महत्व दे रही हैं.

इसलिए ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ममता बनर्जी ने 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन में प्रचार करना तय किया है. ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी के नजदीकी के पार्टी छोड़ने को बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि उनके ललितेश के लिए बड़े प्लान और आशाएं थीं. इसके साथ ही पहले से व्यस्त यूपी चुनाव में तृणमूल की भी एंट्री हो गई है. अगर ये पार्टियां आक्रामक हुईं तो सिर्फ कांग्रेस के मौके कमजोर होंगे. और ये मामला सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों का भी है जहां पर आप, टीएमसी और सपा अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं.

ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा-यूपी मेरे लिए नया नहीं है. मैं वहां पर प्रचार के लिए कई बार जा चुकी हूं. लखीमपुर खीरी में कांग्रेस नहीं पहुंच सकी, लेकिन हम पहुंचे. बंगाल में बैठकर भी किसान आंदोलन के लिए सबकुछ करने की कोशिश कर रही हूं. इन स्थितियों को देखते हुए सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में रेस में बने रहने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.

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