जाने वो है कौन जिनके कहने पर आज भी होती है वारिष ?

दक्षिण अफ्रीका के लिंपोपो प्रांत में एक आदिवासीसमुदाय की होने वाली रानी मेसलेनबोमोदजजी के पास बारिश पर नियंत्रण की शक्ति मानी जाती है. वे साल 2023 में प्रांत की सातवीं रानी बनेंगी. फिलहाल वे वयस्क नहीं है और इसलिए प्रांत को चलाने का जिम्मा उनके भाई को दिया गया है. हालांकि भाई की सत्ता अस्थाई है और केवल राजकुमारी की सही उम्र का इंतजार हो रहा है.
रानियों के शासन के पीछे इस प्रांत के आदिवासी समुदाय के पास एक कहानी है. माना जाता है कि आज से 400 साल पहले यहां के आदिवासी जिम्बाब्वे से आए थे. तब पुरुष ही शासन किया करते थे और कुछ भी हासिल करने के लिए आपस में लड़ाइयां करते. इस तरह से काफी कत्लेआम मचा करता था. आखिरी पुरुष राजा के सपने में कोई ईश्वरीय ताकत आई, जिसने उसे स्त्रियों को शासन सौंपने के लिए कहा. इसके बाद राजा की बड़ी बेटी ने राजकाज संभाला.
पहली रानी के राज में हुई अच्छी बारिश
पहली स्त्री शासक को मोदजजी कहा गया, जिसका मतलब है शासन करने वाला. मान्यता है कि उस पहली रानी के आते ही प्रांत के हालात सुधरने लगे और लड़ाइयां खत्म हो गईं. यहां तक कि दूसरे प्रांतों के राजा रानी के पास बारिश करवाने की गुजारिश लेकर आने लगे क्योंकि प्रांत के लोगों को यकीन था कि रानी पर बारिश वाले देवता की कृपा है.
उसे दूसरी महिलाओं से खुद को अलग साबित करना था. इसके लिए उसे तमाम तरह के तंत्र-मंत्र जपने होते. उसने एक बड़ा समय जंगलों में अकेले रहते हुए बिताया, वहीं से वो पुरुष साथियों को प्रजा को चलाने के लिए आदेश देती. उसने शादी भी नहीं की थी, बल्कि अपने ही परिवार के पुरुषों से संबंध बनाकर उनके जरिए बच्चों को जन्म दिया. ये पुरुष रानी के पति या साथी नहीं, बल्कि केवल बच्चों के जन्म का साधन थे और घरेलू कामों के अलावा उन्हें बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. ये ठीक वैसा ही है, जैसा स्त्रियों के साथ होता आया था.
पहली रानी ने 1800 से 1854 तक शासन किया. उसकी मौत के बाद सबसे बड़ी बेटी को शासन मिला. इसी तरह से परंपरा आगे बढ़ती रही.
अगले दो सालों बाद बनने जा रही रानी मेसलेनबो बहुत खास हैं क्योंकि पूरे 50 साल बाद दोबारा इस प्रांत पर रानियों का शासन होने जा रहा है. इससे पहले केवल 3 ही रानियों के बाद ही इस क्वीन किंगडम को नस्लभेद का शिकार होना पड़ा. उन्हें नाम के ही लिए रानी रहने दिया गया, और सारे अधिकार छीन लिए गए. ये साल 1972 की बात है.
साल 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति जेकब जुमा ने इस प्रांत को दक्षिण अफ्रीका में ही खास दर्जा दिया और इस बात पर हामी भरी कि वे अपना अलग शासन चला सकते हैं, जो रानी-शासित ही होगा. इसके बाद राजकुमारी को भावी रानी का कानूनी दर्जा दे दिया गया.
शाही रहन-सहन रहेगा
रानी बनने के बाद मेसलेनबो के पास 100 गांव होंगे, जिनपर उसका ही शासन होगा. साथ ही अपनी शाही जिंदगी बनाए रखने के लिए उसे सरकारी मदद भी मिलती रहेगी. मेसलेनबो की मां वो पहली रानी थी, जिसे अंग्रेजी बोलना और कार चलाना आता था और वो विदेशी मीडिया से मिला करती थी. अब भावी रानी भी जिम्बॉब्वे में रहते हुए अपनी पढ़ाई कर रही है.
वयस्क होने के बाद राजकुमारी को सत्ता सौंपी जाएगी. इसकी शुरुआत में ही उन्हें रेन रिचुअल यानी बारिश लाने की परंपरा दोबारा शुरू करनी होगी. इस दौरान खेती में काम आने पशुओं की भी पूजा होती है और रातभर बारिश के देवता को बुलाया जाता है. हालांकि ये अभी तक नहीं देखा जा सका कि क्या इस रानी के पास पहले बनी रानियों की तरह ही बारिश कराने की ताकत है भी या नही लेकिन इतना तय है कि राजकुमारी को अभी से पवित्र ताकत की तरह देखा जाने लगा है.
काफी अलग होता है रानी का जीवन
रानी का जीवन आम स्त्रियों से एकदम अलग होता है. न्यूज 24 में इससे जुड़ी एक रिपोर्ट में विट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेविड कॉपलैंड बताते हैं कि रानी, पुरुषों की बजाए महिलाओं से शादी करती है. इसके बाद वे महिलाएं शाही परिवार के पुरुषों से संबंध बनाती हैं. उनसे जन्मी संतानें ही रानी की संतान कहलाती हैं. इनके अलावा रानी की कोई जैविक संतान नहीं होती.