जानें लक्ष्मी-गणेश की पुरानी मूर्तियों का क्या करें?
दिवाली पूजा: दिवाली पूजा पर माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की नई मूर्ति स्थापित की जाती है. लेकिन पूजा के बाद पुरानी मूर्तियों का क्या करें, इसके बारे में कई लोगो को उचित जानकारी नहीं होती. जिसके चलते वे अनजाने में गलतियां करते चले जाते हैं. उन गलतियों का अंजाम उन्हें और उनके पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है.
धर्म शास्त्रों के मुताबिक दिवाली पर माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की नई मूर्तियां घर लाई जाती हैं. उन पर गंगाजल का छिड़काव और गायत्री मंत्रों का उच्चाकरण करके घर में बने मंदिर में स्थापना होती है. इसके बाद मंदिर में पहले से विराजमान पुरानी मूर्तियों की ओर मुख करके मन ही मन उनसे आग्रह किया जाता है कि आपने साल भर मुझ पर और मेरे परिवार पर कृपा की है. इसलिए मैं प्रार्थना करता हूं कि अब आप इन नवीन मूर्तियों में अपना स्थान ग्रहण करें. माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी के साथ ही भगवान विष्णु, प्रभु श्रीराम और माता जानकी से भी ऐसी ही प्रार्थना करें.
दिवाली से 2 दिन बाद यानी भैया दूज वाले दिन सभी पुरानी मूर्तियों के सामने श्रद्धापूर्वक प्रणाम करके उन्हें उनके स्थान से उठाएं और उनके स्थान पर नई लाई हुई मूर्तियों को विराजमान कर दें. इसके बाद पुरानी मूर्तियों को किसी अखबार या साफ कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रख दें. फिर जब भी आपको अवसर मिले, आप अपने घर के पास किसी साफ नदी या नहर में उन्हें प्रवाहित कर दें. अगर नदी या नाले का पानी गंदा हो तो पुरानी मूर्तियों को उनमें प्रवाहित न करें. ऐसा करना मूर्तियों का अनादर माना जाता है.
अगर आपके आसपास कोई साफ नदी या नहर नहीं मिलती है तो आप किसी साफ जगह पर गड्ढा खोदकर पुरानी मूर्तियों को वहां दबा सकते हैं. पुरानी मूर्तियों को इस प्रकार विदाई देने को भू-विसर्जन कहा जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि जिस जगह मूर्तियां दबाई जा रही है, वह कूड़ाघर या अन्य कोई खराब जगह न हो. अगर आप ऐसा करते हैं तो माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी के सामने की गई आपकी सालभर की पूजा निष्फल हो जाती है और परिवार में दरिद्रता बढ़ती है.