जानें! यह सड़क है या नदी?

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के कोलाबाडिया गांव की सड़क बरसात के दिनों में नदी बन जाती है. इसके चलते ग्रामीणों को हर साल 4 महीने तक तक परेशानी झेलनी पड़ती है. बारिश के सीजन में हालत यह हो जाती है कि यह पता नहीं चलता है कि गांव से सड़क गुजर रही है या नदी.
बरसात के दिनों में पूर्वी सिंहभूम के कोलाबाडिया गांव की स्थिति बेहद ही खराब हो जाती है. हर तरफ पानी भरने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बरसात के दिनों में पूर्वी सिंहभूम के कोलाबाडिया गांव की स्थिति बेहद ही खराब हो जाती है. हर तरफ पानी भरने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के कोलाबाडिया गांव की सड़क बरसात के दिनों में नदी बन जाती है. इसके चलते ग्रामीणों को हर साल 4 महीने तक तक परेशानी झेलनी पड़ती है.
पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के कोलाबाडिया गांव की सड़क बरसात के दिनों में नदी बन जाती है. इसके चलते ग्रामीणों को हर साल 4 महीने तक तक परेशानी झेलनी पड़ती है.
बिहार से अलग होने से पहले से ही गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. झारखंड बनने के बाद समस्याओं का हल निकलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन वे सिर्फ उम्मीदें ही साबित हुईं.
बिहार से अलग होने से पहले से ही गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. झारखंड बनने के बाद समस्याओं का हल निकलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन वे सिर्फ उम्मीदें ही साबित हुईं.
डुमरिया प्रखंड के अंतर्गत आने वाले कोलाबाडिया गांव में 50 से 60 घर हैं. बरसात के दिनो खेतों का पानी गांव के बीच से होकर गुजरता है. पानी का बहाव भी इतना है गांव की सड़क नदी सरीखी नजर आती है.
ग्रामीण बताते हैं कि लगातार 4 महीने तक सड़क पर बहते पानी से उन्हें कई तरह की परेशानी होती है. अधिक्तर समय पांव पानी में रहने के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी होती है.
ग्रामीण बताते हैं कि लगातार 4 महीने तक सड़क पर बहते पानी से उन्हें कई तरह की परेशानी होती है. अधिक्तर समय पांव पानी में रहने के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी होती है.