जानें पड़ोसी देश कब मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस?
भारत हर साल 15 अगस्त को अपनी आजादी का जश्न मनाता है. साल 1947 की यही वो स्वर्णिम तारीख है जब भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली. आजादी का ये एहसास हर भारतीय के लिए बेहद सुखद तो था लेकिन दिल में विभाजन की टीस भी थी. आजादी से महज एक दिन पहले भारत का विभाजन कर पाकिस्तान बना दिया गया. यही वजह है कि भारत की आजादी से ठीक एक दिन पहले ही पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस पड़ता है. बता दें कि, भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया. इस अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वायत्त्योपनिवेश बना दिए जाएंगें और उनको ब्रिटिश सरकार सत्ता सौंप देगी. ये तो हो गई भारत की आजादी की कहानी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के पड़ोसी देशों को आजादी कब मिली. आइए जानते हैं…
भूटान: भूटान अपना स्वतंत्रता दिवस 17 दिसंबर को मनाता है. भूटान को तिब्बत के कामरूप शासन ने कुछ वक्त तक अधीन रखा था लेकिन 17 दिसंबर 1907 को वांगचुक वंश ने भूटान की सत्ता फिर संभाल ली थी. तभी से भूटान इस दिन आजादी का जश्न मनाता है.
पाकिस्तान: भारत की आजादी से ठीक एक दिन पहले ही विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान बना. इस मुल्क का स्वतंत्रता दिवस भारत से महज एक दिन पहले यानी कि 14 अगस्त को पड़ता है. पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आया था.
चीन: ड्रैगन चीन हर साल 1 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस मनाता है. साल 1949 में इसी तारीख को थियानमेन चौक पर सेंट्रल पीपुल्स गर्वनमेंट का गठन हुआ था. हालांकि स्थापना पहले हो चुकी थी लेकिन सरकार के गठन को ही ड्रैगन ने अपना स्वतंत्रता दिवस माना.
बांग्लादेश: बांग्लादेश हर साल 26 मार्च को स्वतंत्रता दिवस मनाता है. साल 1971 में शेख मुजीबुर रहमान ने आजादी की घोषणा कर दी थी. बता दें कि ये देश पाकिस्तान का हिस्सा था. लेकिन शेख मुजीबुर रहमान की घोषणा के बाद 9 महीने तक खूनी संघर्ष चला. इस लड़ाई में बांग्लादेश को भारत का सैन्य सहयोग प्राप्त हुआ था. अंततः 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश को आजादी हासिल हुई.
म्यांमार: म्यांमार हर साल 4 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाता है. भारत के पड़ोसी देश म्यांमार को 4 जनवरी 1948 में जब आजादी मिली तब इसका नाम बर्मा हुआ करता था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज बर्मा के रास्ते ही भारत में घुसी थी.