जानें क्यों नौकरियों को अलविदा कह रहे कर्मचारी?

न्यूयॉर्क. कोविड-19 के बाद जब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने की तरफ बढ़ रही है, तो ऐसे में अमेरिका में कर्मचारी नौकरियां छोड़ रहे हैं. मतलब कोविड के दौर में जहां नौकरियां जा रही थीं, वहीं अब लोग नौकरियों पर आ नहीं रहे हैं. जब बाजार मांग को पूरा करने और उसे भुनाने मे जुटा हुआ है, तब दुनियाभर में लाखों लोग बस यूं ही अपने काम को छोड़ते जा रहे हैं. खास बात यह है कि नौकरी छोड़ने वाले ज्यादातर लोगों के पास हाथ में कुछ भी नहीं है, ना ही उन्हें यह पता है कि वह क्या करने वाले हैं. लेकिन फिर भी इस्तीफा देने का दौर जारी है. यानी काम तो है पर करने वाला नदारद है.
अमेरिका के श्रम विभाग के डेटा की मानें तो इस साल करीब 3 करोड़ 40 लाख लोगों ने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया. लेकिन खास बात यह है कि नौकरी छोड़ने का सिलसिला इस साल अप्रैल के बाद ज्यादा बढ़ा. ठीक उसी वक्त जब अर्थव्यवस्था, अपनी व्यवस्था में लौटने की तैयारी कर रही थी. तब से लेकर अब तक करीब ढाई करोड़ लोग नौकरी छोड़ चुके हैं. लोगों के नौकरी छोड़ने की गति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर में 44 लाख लोगों ने नौकरी छोड़ी, अगस्त में 43 लाख लोग काम पर नहीं लौटे. सितंबर में जहां 1 करोड़ 40 लाख नौकरियां मौजूद थीं, वहीं अगस्त में यह आंकड़ा 1 करोड़ 60 लाख पर था.
रिपोर्ट बताती हैं कि लगातार 4 महीनों तक 1 करोड़ से ज्यादा नौकरियां खाली थीं, वहीं महामारी से पहले उच्चतम संख्या 75 लाख थी. सितंबर के महीने में 77 लाख लोग बेरोजगार थे और नौकरियां इससे ज्यादा मौजूद थी. इसी तरह महामारी के पूर्व की तुलना में 50 लाख कम लोग नौकरियां तलाश रहे थे.
इसी तरह के हाल कनाडा, और यूके में देखने को मिल रहे हैं. जर्मनी में हर तीसरी कंपनी का यही कहना है कि उनके यहां लोगों की कमी है. यह कमी पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा है. इस साल मार्च में सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक सर्वेक्षण करवाया, जिसके मुताबिक वैश्विक कार्यबल का 41 फीसदी अगले साल तक अपने वर्तमान नियोक्ता को छोड़ने का मन बना सकता है, वहीं 46 फीसद कोई बड़ा बदलाव या करियर में बदलाव की तरफ रुख कर सकते हैं.
हाल ही में आई रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा नौकरियां हॉस्पिटेलिटी और खुदरा क्षेत्र में छोड़ी गईं. मसलन रेस्त्रां, होटल, स्टोर, फैक्ट्री औऱ ऐसी जगह जहां लोगों को करीब रहकर काम करना पड़ता था.
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में हुआ हालिया अध्ययन बताता है कि इस्तीफे की दर उन क्षेत्रों में ज्यादा देखी गई, जहां महामारी के दौरान अत्यधिक मांग की वजह से लगातार काम करने की वजह से कर्मचारी की बर्न आउट की स्थिति पैदा हुई, स्वास्थ्य और तकनीकि क्षेत्रों में नौकरी छोड़ने में बढ़ोतरी दर्ज की गई.
अमेरिका के श्रम विभाग के आंकडे़ दिखाते हैं कि आतिथ्य उद्योग में सितंबर में नौकरी छोड़ने की दर 6.4 फीसद के साथ अपने उच्चतम पर थी. जो राष्ट्रीय दर 3 फीसदी की दोगुनी थी. कला, मनोरंजन-आतिथ्य क्षेत्र के ही उपवर्ग में आता है, जहां नौकरी छोड़ने की दर बढ़कर 3.2 फीसद से 5.7 फीसद देखी गई.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्तीफे की वजह को हवा कर्मचारी के बेहतर पद की मांग या काम का बेहतर माहौल की वजह से मिल रही है. लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो बस नौकरी छोड़ रहे हैं, वो ना तो बेहतर पद चाहते हैं और ना ही दूसरी नौकरी ढूंढ रहे हैं. कम से कम तुरंत वो ऐसा कुछ नहीं चाहते हैं. इस श्रेणी में माताएं हैं, जिन्हें अपने बच्चों की देखरेख के लिए कुछ बेहतर नहीं मिल पा रहा है. वहीं, इस श्रेणी में ऐसे लोग भी हैं जो अपने काम पर इसलिए लौटना नहीं चाहते हैं क्योंकि उन्हें शारीरिक रूप से निकटता के साथ काम करना पड़ता है.
इसी तरह अमेरिका में कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्होंनें महामारी के दौरान मिली प्रोत्साहन राशि की बचत की है, और अब वो महामारी के बाद कुछ देर ठहर कर ये विचार करना चाहते हैं कि कहां उन्हें काम को लेकर लचीलापन मिलता है. और कब से वह काम शुरू करना चाहते हैं.
अगली बड़ी परेशानी हाइब्रिड वर्क ऐसा तरीका जिसमें कुछ दिन घर से और कुछ दिन दफ्तर से काम करना होता है) है, क्या हम इसके लिए तैयार हैं. इसी तरह रिमोट वर्क (यानि किसी भी जगह पर बैठ कर दफ्तर का काम करना) इस पर बहुत काम करने की ज़रूरत है और सभी लोग इस तरह से काम करने को लेकर सहज भी नहीं हैं. साथ सारे काम इस तरह से होना संभव भी नहीं हैं.
रिपोर्ट ये बताती हैं कि ज्यादातर लोग हाइब्रिड वर्क के तरीके को ज्यादा पसंद करेंगे क्योंकि इस तरीके से नए रोजगार भी पैदा होंगे और उन्हें परिवार के साथ-साथ दफ्तर से भी जुड़े रहने का मौका मिलता है. इसके अलावा इस तरीके में रोज रोज दफ्तर जाने-आने का वक्त भी बचता है, जिसका इस्तेमाल किसी और काम या अपने लिए किया जा सकता है. और किसी केबिन में बैठ कर काम करने से डिजिटल थकावट का भी डर रहता है जो एक वास्तविक खतरा है.
एचबीआर रिपोर्ट कहती है कि इस्तीफा देने वालों में 35-45 की मध्य उम्र के लोगों की संख्या ज्यादा है, वहीं युवा कर्मचारियों में ये दर गिरी है. 20-25 उम्र समूह के लोगों ने आर्थिक अनिश्चतता और शुरुआती स्तर पर नौकरी की कमी को देखते हुए अपनी नौकरी में बने रहने का फैसला किया है. एचबीआर बताती है कि 60-70 उम्र समूह के लोगों की नौकरी छोड़ने की दर में भी कमी आई है वहीं, 45 से ऊपर और 25-30 के लोगों की नौकरी छोड़ने की दर में 2020 की तुलना में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
मध्य स्तर के श्रमिकों के नौकरी से इतने उच्च स्तर पर निकलने की क्या वजह है, एचबीआर रिपोर्ट कहती है कि इसके पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि कंपनी ऐसे लोगों को नौकरी पर रखने में दिलचस्पी दिखा रही है, जिनके पास थोड़ा कम अनुभव हो, और जिन्हें तुरंत प्रशिक्षित करने की जल्दी नहीं हो, ऐसे श्रमिकों को कम पैसों में भी नौकरी पर रखा जा सकता है. और कंपनी अभी काम चलाना चाहती है. साथ ही रिपोर्ट ये भी कहती है कि मध्य उम्र के लोगों की नौकरी छोड़ने की एक वजह महामारी के दौरान वेतन की कटौती और काम का बढ़ना और लोगों का बर्न आउट होना भी रहा है.
मनोविशेषज्ञ और उद्योगों पर नजर रखने वालों का मानना है कि महामारी ने लोगों की सोच और प्राथमिकताओं में बदलाव किया है. लोग अब ऐसे काम की तलाश में हैं, जहां पेशेवर और निजी जिंदगी में बेहतर संतुलन का वादा किया जाए. जिससे वो अपने दोनों भूमिकाओं को सहजता और सुगमता के साथ निभा सके. खास बात यह है कि कोई भी ऐसा काम करने से बच रहा है जहां उन्हें मानसिक बोझ या दबाव मिले.
ऐसा माना जा रहा है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, श्रमिक धीरे धीरे अपने काम पर लौटेंगे, हालांकि गोल्डमेन सेश की रिपोर्ट बताती है कि अब कारोबार छोटे कार्यबल के साथ ही करना होगा, यानी श्रमिकों की कमी कुछ महीनों या साल तक बनी रह सकती है.
भारत के हाल विकसित देशों से जुदा हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि बात चाहे नौकरी की हो या सामाजिक सुरक्षा की भारत की तुलना किसी भी विकसित देश से नहीं की जा सकती है.
भारत में महामारी के दौरान अनौपचारिक क्षेत्र में लाखों लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई और वह अपने काम को छोड़ कर अपने गांव या पैतृक स्थलों पर लौट गए. करीब 80 फीसद अनौपचारिक श्रमिकों की लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई. लेकिन अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटते ही नौकरियों के क्षेत्र में फिर से जान आ रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा नौकरियां मिलती नजर आ रही हैं. तकनीकी क्षेत्र में यह बढ़ोतरी उल्लेखनीय है. हालांकि, आईटी उद्योग में 22-23 फीसद की दर होगी और 2021 में करीब 10 लाख से ज्यादा इस्तीफों की उम्मीद की जा रही है.