जलवायु सम्मेलन में केवल वादे नहीं होने चाहिए, त्वरित उत्सर्जन कटौती की जरूरत :यादव

संयुक्त राष्ट्र ग्लासगो में होने वाली महत्वपूर्ण जलवायु शिखरवार्ता से पहले भारत ने कहा है कि सम्मेलन में केवल ‘वादे और संकल्प’ नहीं होने चाहिए तथा दुनिया को दीर्घकालिक लक्ष्यों के बजाय इस दशक में त्वरित और अधिक उत्सर्जन कटौती करने की जरूरत है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘विज्ञान ने समय के साथ जलवायु परिवर्तन के संबंध में त्वरित कार्रवाई की तात्कालिकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। दुनियाभर में अत्यंत प्रतिकूल मौसम के घटनाक्रम में इस बात की पुष्टि होती है जो विज्ञान हमें बता रहा है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद द्वारा मंगलवार को आयोजित उच्चस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि दुनिया को दीर्घकालिक लक्ष्यों के बजाय इस दशक में त्वरित, सतत और अधिक उत्सर्जन कटौती करने की जरूरत है।
बैठक का विषय ‘जलवायु संबंधी कार्रवाई- लोगों, ग्रह और समृद्धि के लिए’ था। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि जलवायु संबंधी आकांक्षाओं पर मौजूदा विमर्श पाला बदलता हुआ दिख रहा है।’’
ग्लासगो में 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की रूपरेखा सम्मेलन के 26वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए दुनियाभर के नेताओं के एकत्रित होने से कुछ दिन पहले यह उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गयी।
यादव ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं और मंचों में दुनिया का भरोसा सभी को बनाकर रखना होगा। सीओपी26 अब वित्तीय और प्रौद्योगिकी समर्थन में कार्रवाई के लिए सीओपी होना चाहिए और केवल वादे और संकल्प नहीं।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय के रूप में यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी को टिकाऊ विकास और वृद्धि का अधिकार मिले।