” जय श्रीराम ” जब इस नारे ने किया था कमाल !

इटावा –चुनावी बिसात पर नारे बेहद अहम होते रहे हैं. नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा उड़ गए जयश्री राम, बाकी राम झूठे असली राम कांशीराम’ नारा लगाया गया. इस नारे ने राजनीतिक बिसात में खासा परिवर्तन किया. जोरदार समझे जाने वाले इस नारे के सृजनकर्ता इटावा के पूर्व बसपा नेता खादिम अब्बास हैं. अनजाने में जन्मे इस नारे ने देश और प्रदेश की राजनीति में बड़ा परिवर्तन किया. खादिम अब्बास आज भले ही बसपा की मुख्यधारा में ना हों, लेकिन वे आज भी कांशीराम से खासे प्रभावित रहे हैं, इसीलिए बसपा से निकाले जाने के बाद आज तक किसी भी दल का हिस्सा नहीं बने हैं.

खादिम अब्बास के पास कांशीराम से जुड़ी हुई ऐसी तस्वीरें हैं जो उनका कांशीराम के प्रति प्रेम आज भी उजागर करती हैं.
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खादिम आज तक कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं. खादिम अब्बास विधानसभा से चुनाव से लेकर नगर निगम के कई दफा चुनाव लड़े हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. खादिम ने कौमी तहफफुज्ज कमेटी का गठन किया हुआ है जिसके वे संयोजक भी हैं. खादित कांशीराम के बेहद करीब रहे. कहा यह जाता है कि 1991 के आम चुनाव में इटावा में जबरदस्त हिंसा के बाद पूरे जिले के चुनाव को दुबारा कराया गया था. तब बसपा सुप्रीमो कांशीराम मैदान में उतरे. मुलायम ने वक्त की नब्ज को समझा और कांशीराम की मदद की. इसके एवज में कांशीराम ने बसपा से कोई प्रत्याशी मुलायम के खिलाफ जसवंतनगर विधानसभा से नहीं उतारा,
जबकि इटावा जिले की हर विधानसभा से बसपा ने अपने प्रत्याशी उतरे थे.1991 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी कांशीराम समेत कुल 48 प्रत्याशी मैदान में थे. चुनाव में कांशीराम को एक लाख 44 हजार 290 मत मिले और उनके समकक्ष भाजपा प्रत्याशी लाल सिंह वर्मा को 1 लाख 21 हजार 824 मत. मुलायम सिंह की जनता पार्टी से लड़े रामसिंह शाक्य को मात्र 82624 मत ही मिले थे.
मैनपुरी में सपा बसपा रैली में अचानक निकला नारा – खादिम अब्बास बताते हैं कि 1992 में मैनपुरी में हुई एक सभा मे जब बोलने के लिए वे मंच पर आए तो अचानक यह नारा उन्होंने लगाया जो बाद में पूरे देश मे गूंजा. खादिम अब्बास के पास कांशीराम से जुड़ी हुई ऐसी तस्वीरें हैं जो उनका कांशीराम के प्रति प्रेम आज भी उजागर करती हैं. एक तस्वीर वो है जिसमे कांशीराम नामाकंन कर रहे हैं और दूसरी एक रोजाअफतार समारोह में जाने से पहले की हैं. दोनो तस्वीरो मे खादिम अब्बास कांशीराम के पास ही हैं.