राष्ट्रीय

जम्‍मू-कश्‍मीर में पत्‍थरबाजी की घटनाओं में आई कमी

नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीरके विशेष दर्जे को समाप्त करने की घोषणा की थी और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. सरकार के इस फैसले को लेकर हमेशा से सवाल उठाए जाते रहे हैं. लेकिन पिछले दो सालों में जम्‍मू-कश्‍मीर के हालात पर नजर दौड़ाएं तो स्थिति काफी बदली हुई नजर आती है. आतंकी संगठनों के ओवरग्राउंड वर्कर्स पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती और कोविड प्रतिबंधों के बीच जम्मू-कश्मीर में साल 2019 के बाद से पत्थरबाजी की घटनाओं में भारी कमी आई है.

गृह मंत्रालय की ओर से पेश किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी से जुलाई के बीच पत्थरबाजी की घटनाओं में साल 2019 की तुलना में 88 फीसदी की कमी आई है. यही नहीं इस तरह की घटनाओं में सुरक्षाबलों के घायल या चोटिल होने की संख्‍या में 93 प्रतिशत, जबकि आम नागरिकों के घायल होने की संख्‍या में 84 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

गृह मंत्रालय की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वो बताते हैं कि साल 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच पत्‍थरबाजी की 618 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि साल 2020 में इसी अवधि में पत्‍थरबाजी की 222 घटनाएं हुई थीं. यह आंकड़ा इस साल सिमट कर मात्र 76 रह गया है. इसी तरह इस तरह की घटनाओं में सुरक्षाबलों के चोटिल होने के मामलों में भी भारी कमी आई है. साल 2019 में जहां 64 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे, वहीं इस साल 10 सुरक्षाकर्मियों को चोट आई है.

इसी तरह पैलेट गन और लाठी चार्ज से घायल होने वाले आम नागरिकों की संख्‍या में भी भारी कमी देखने को मिली है. साल 2019 में जहां यह आंकड़ा 339 था तो वहीं इस साल यह सिर्फ 25 रह गया है. जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकियों को पकड़ने को लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है, उसके तहत आतंकियों की मदद करने वालों को भी पकड़ा गया है. साल 2019 के जनवरी से जुलाई माह के बीच जहां सिर्फ 82 आतंकी पकड़े गए थे, तो वहीं इस साल अब तक 178 आतंकियों को पकड़ा जा चुका है.

बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने की घोषणा की और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया. इस फैसले से पहले ही कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की भारी संख्‍या में तैनात किया गया और सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं को कैद कर लिया गया. इस फैसले के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में 72 दिनों के लिए मोबाइल बंद रहा, जबकि 4जी इंटरनेट इस साल फरवरी में 18 महीने बाद ही बहाल किया गया.जी

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