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जब जेल में बंद डकैत के लिए खोदी गई थी हेडिंग्ले की पिच

ऑस्ट्रेलिया के जीत के अरमान और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट के मैदान पर प्रतिद्वंदिता बरसों पुरानी है. इसकी शुरुआत 1882 में पहली एशेज सीरीज से हुई थी. तब से लेकर अब तक दोनों टीमों के बीच 71 सीरीज खेली जा चुकी है. इस दौरान एक रोमांचक और यादगार मुकाबले हुए. ऐसा ही एक मैच 1975 में इंग्लैंड के हेडिंग्ले क्रिकेट मैदान पर खेला गया था. जो पूरा नहीं हो पाया था. आज यानी 19 अगस्त को मैच का 5वां और आखिरी दिन था. ऑस्ट्रेलिया को ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के लिए 225 रन चाहिए थे और उसके 7 विकेट बाकी थे. फिर भी मैच ड्रॉ रहा.

1975 में ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम 4 टेस्ट की सीरीज के लिए इंग्लैंड दौरे पर गई थी. सीरीज का पहला टेस्ट बर्मिंघम में खेला गया, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने पारी और 85 रन से जीता. इस दौरे पर कंगारूओं की यह पहली और आखिरी जीत थी. क्योंकि इसके बाद के तीनों टेस्ट ड्रॉ रहे. इसमें दूसरे और चौथे टेस्ट का नतीजा तो खेलकर निकला. लेकिन हेडिंग्ले में हुए तीसरे मुकाबले अधूरा छोड़ दिया गया. क्योंकि इस मैच में ऐसा कुछ हुआ, जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी. इस मैच के आखिरी दिन का खेल ही नहीं हो पाया. ऐसा मौसम या फिर किसी और वजह से नहीं हुआ था. बल्कि किसी ने पिच ही खोद डाली थी. वो भी एक डकैत की जेल से रिहाई के लिए.

हेडिंग्ले में हुए इस टेस्ट में इंग्लिश कप्तान टोनी ग्रेग ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया था. मेजबान इंग्लैंड टीम पहली पारी में 288 रन ही बना पाया. इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया पहली पारी 135 रन पर ही ऑल आउट हो गया. इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी में 291 रन बनाए. इस तरह ऑस्ट्रेलिया को चौथी और आखिरी पारी में जीत के लिए 445 रन का बड़ा लक्ष्य मिला. उस वक्त सभी को लगा कि इंग्लैंड यह मैच बड़ी आसानी से जीतकर सीरीज बराबर कर लेगा. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने मैच के चौथे दिन शानदार बल्लेबाजी की. वहीं, पाचवें दिन जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया.

इस टेस्ट में चौथे दिन का खेल खत्म होने पर ऑस्ट्रेलिया मजबूत स्थिति में था. उसने 3 विकेट के नुकसान पर 220 रन बना लिए थे. सलामी बल्लेबाज रिक मैककॉस्कर 95 और डॉग वॉल्टर्स 25 रन पर नाबाद थे. आखिरी दिन मेहमान टीम को जीतने के लिए 225 रन और बनाने थे और उसके 7 विकेट बाकी थी. ऑस्ट्रेलिया को जीत नजर आने लगी थी. लेकिन जब पांचवें दिन का खेल शुरू होने से पहले ग्राउंड्समैन जॉर्ज कॉथ्रे ने कवर्स हटाए तो उनका सिर घूम गया. पिच में जगह-जगह गड्ढे बन चुके थे. एक जगह तो गड्ढे में तेल भी भरा हुआ था.

यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि आखिर किसने यह सब किया. हालांकि, उससे पहले यह रास्ता तलाशना जरूरी था कि आखिरी दिन का खेल कैसे पूरा कराया जाए. तब ग्राउंड्सैमन ने पिच की मरम्मत के लिए 1 दिन की मोहलत मांगी. लेकिन इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल ने पिच की ऐसी गत देखकर खेलने से इनकार कर दिया. आखिरकार मैच को अधूरा ही छोड़ना पड़ा और मैच रैफरी ने इसे ड्रॉ घोषित करते हुए रद्द कर दिया.

इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया की ऐतिहासिक जीत दर्ज करने की उम्मीद खत्म हो गई. अब मैच तो रद्द हो चुका था. इसके बाद पिच को लेकर जांच शुरू हुई. मामला पुलिस तक पहुंचा. रात में स्टेडियम की चौकीदारी करने वाले वॉचमैन से पूछा गया कि कौन मैदान के अंदर आया था और किसने इस हरकत को अंजाम दिया. उसने किसी भी तरह की जानकारी से इनकार कर दिया. इसके बाद पुलिस को इस कांड से जुड़ा एक बड़ा सबूत मिला. दरसअल, स्टेडियम की दीवार पर किसी ने लिखा था-
किसी को उस शख्स के बारे में कुछ पता नहीं था. जिसके लिए पिच खोदी गई थी. हालांकि, पड़ताल के बाद पता चला कि 34 साल का जॉर्ज कैब ड्राइवर था. जिसे 1974 में डकैती के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई थी. प्रदर्शनकारी लगभग एक साल से उनकी रिहाई के लिए प्रचार कर रहे थे. 1976 में तत्कालीन गृह सचिव, मर्लिन रीस ने फैसला किया कि जॉर्ज की सजा निराधार थी. इसी वजह से उन्हें मुक्त कर दिया गया था. ऐसा माना जाता है कि दोस्त उसकी सजा से खुश नहीं था और उसने डेविस को निर्दोष साबित करने के लिए पिच खोद डाली थी.

 

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