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जब्बे को सलाम, दोनों हाथ गवाने के बाद भी तैराकी में लाया 150 मेडल

जयपुर : यह एक ऐसे शख्स की प्रेरणादायक कहानी है, जिसने दो अलग-अलग दुर्घटनाओं में अपने दोनों हाथ खो दिए, लेकिन विपरित परिस्थितियों में हौसला खोने के बजाय उसने राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में नाम कमाया है. दोनों हाथ खोने के बाद भी उन्होंने कड़ी मेहनत जारी रखी और तैराकी में कई बार विजेता बने. अब उसकी नजर 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप पर बनी हुई है.
पिंटू गहलोत नामक इस तैराक ने तमाम बाधाओं के बीच पानी में अपने शरीर को संतुलित करने का अभ्यास किया, अब तक वह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में 150 से अधिक पदक जीत चुके हैं. वह अपनी अकादमी में अब युवा छात्रों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं, जिन्होंने विभिन्न टूर्नामेंटों में 100 से अधिक पदक जीते हैं. वह अब 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहा है

राजस्थान में जोधपुर के चोखा गांव के निवासी पिंटू गहलोत 1998 में एक दुर्घटना के दौरान एक हाथ खो बैठा थे, जब वह कक्षा सातवीं के छात्र थे. उन्होंने एक बस दुर्घटना में अपना दायां हाथ गंवा दिया. हालांकि इसके बाद उन्होंने अपने बाएं हाथ के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखने की कोशिश की.

दृढ़निश्चय के साथ उन्होंने स्विमिंग पूल में तैराकी का अभ्यास शुरू किया और अथक प्रयासों के बाद न केवल खुद को प्रशिक्षित किया, बल्कि खुद के लिए एक खास पहचान भी बनाई. सात साल की कड़ी मेहनत के बाद, उन्होंने जोधपुर में आयोजित राज्य पैरा चैम्पियनशिप जीती. उन्होंने 100 मीटर बैकस्ट्रोक में स्वर्ण पदक और 50 मीटर फ्रीस्टाइल टूर्नामेंट में रजत पदक जीता और इसके बाद से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

हालांकि पिंटू के जीवन में एक और क्रूर घटना घटी, जब उसने 2019 में एक स्विमिंग पूल की सफाई के दौरान अपना दूसरा हाथ खो दिया. दरअसल, स्विमिंग पूल में एक लोहे का पाइप था, जहां पिंटू सफाई कर रहे थे. उस लोहे के पाइप में विद्युत प्रवाह (करंट) था, जिसकी चपेट में पिंटू आ गए. इस दौरान पिंटू का हाथ इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और उसे काटना पड़ा

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