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चेन्नई टेस्ट में मुमकिन है टीम इंडिया की जीत, 12 साल पहले हुआ था ऐसा करिश्मा

नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच पहले टेस्ट का आखिरी दिन टीम इंडिया के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि भारत को ये मैच जीतने के लिए अभी भी 381 रन बनाने हैं. मेजबान को 420 रन का टारगेट मिला था, जिसके जवाब में विराट की सेना ने 1 विकेट खोकर 39 रन बना लिए हैं. फिलहाल शुभमन गिल 15 और चेतेश्वर पुजारा 12 रन बनाकर नॉट आउट हैं.
आखिरी दिन बल्लेबाजी करना किसी भी टीम के लिए बेहद मुश्किल होता है क्योंकि पिच काफी हद तक डैमेज हो चुकी होती है. ऐसे में 5वें दिन 381 रन बनाना काफी मुश्किल लग रहा है, लेकिन हम आपको बता दें कि ये टारगेट नामुमकिन नहीं है. करीब 12 साल पहले टीम इंडिया ऐसा करिश्मा कर चुकी है.
दिसंबर 2008 में इसी चेन्नई के मैदान पर भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच की चौथी पारी में 387 रनों के टारगेट को चेज करते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की थी जब सचिन तेंदुलकर का कमाल देखने को मिला था. उसी चेपक ग्राउंड पर मंगलवार के दिन ‘विराट ब्रिगेड’ के पास इतिहास दोहराने का सुनहरा मौका है.
इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 316 रन बनाए जिसके जवाब टीम इंडिया अपनी पहली पारी में महज 241 रन ही बना पाई और इस तरह इंग्लैंड को पहली पारी के आधार पर 75 रन की लीड हासिल हुई. भारत की तरफ से सिर्फ कप्तान धोनी ही अर्धशतक (53) लगा पाए.
इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी में जबरदस्त खेल दिखाया. एंड्रयू स्ट्रॉस और पॉल कॉलिंगवुड के शानदार शतकों की बदौलत इंग्लिश टीम ने 311/9 पर पारी घोषित कर दी. अब भारत को जीत के लिए 387 रन का लक्ष्य मिला जो देखने में नामुकिन सा लग रहा था.

भले ही टीम इंडिया के लिए ये लक्ष्य चुनौतीपूर्ण था, लेकिन धोनी की सेना ने हार नहीं मानी. गौतम गंभीर (66) और वीरेंद्र सहवाग (83) के बीच 117 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप हुई. इसके बाद सचिन ने 103 और युवराज सिंह ने शानदार 85 रन बनाए और टीम इंडिया को ऐतिहासिक जीत दिला दी. सहवाग को उनकी तेज पारी के लिए मैच ऑफ द मैच दिया गया.
टीम इंडिया को 2008 में खेले गए इस मैच से सबक लेना चाहिए. भले ही लक्ष्य कितना भी मुश्किल क्यों न हो, लेकिन इरादा हमेशा जीत का होना चाहिए. मंगलवार के दिन भारतीय बल्लेबाजों पर जीत की जिम्मेदारी होगी. हर किसी अपनी तरफ से बड़ा योगदान देना होगा, तभी विराट की सेना इतिहास दोहरा पाएगी.

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