अंतराष्ट्रीय

चीन बना भारत विरोधी आतंकियों का मददगार

नई दिल्ली: म्यांमार में इस साल की शुरुआत में सैन्य तख्तापलट के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को जिस बात का डर था वो अब सच में बदलता दिखाई दे रहा है. दरअसल भारत-म्यांमार की सीमा पर बड़ी तादाद में आतंकवादियों को लगातार देखा जा रहा है. वहीं उनके टेरर कैंपों की गतिविधियां भी अचानक से तेज हो गई हैं.

ये सभी कैंप 2019 में भारत और म्यांमार की सेनाओं के संयुक्त अभियान के बाद खाली हो गए थे और वहां पर आतंकवादी गतिविधियां रुक गई थीं. यहां सेना के कब्जे के बाद बीते कुछ महीनों में ये कैंप दोबारा सक्रिय हुए हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक म्यांमार के चिन स्टेट में आतंकवादी संगठनपीएलए और आरपीएफकी हरक़तें बढ़ गई हैं. इनकी तादाद करीब 18-20 बताई जा रही है और सीमा से सटे सेनम से लेकर सियालमी तक इनकी मौजूदगी है.

भारतीय एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक पिछले महीने मणिपुर सीमा पर 46 वीं असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफ़िसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, इनकी पत्नी और बेटे के अलावा 4 अन्य सैनिकों की हत्या में इन्हीं आतंकवादियों का हाथ था. उस वारदात के बाद ये सभी सुरक्षित ठिकाने की तलाश में म्यांमार सीमा में दाखिल हुए और अभी तक सियालमी के करीब जंगलों में छिपे हैं.

मणिपुर में घुसपैठ की कोशिश
खुफिया सूत्रों के मुताबिक यूएनएलएफ, पीएलए और प्रीपाकी के 150 आतंकवादियों को चिन स्टेट के गांवों में लाया गया है ताकि उनकी भारत में घुसपैठ कराई जा सके. इसी तरह तिराप और चांगलांग जिलों में एनएससीएन (केवाईए) के दर्जनों आतंकवादी सक्रिय हो गए हैं जो हाल ही में म्यांमार से घुसपैठ करके आए हैं.

खुफिया सूत्रों के मुताबिक अलग-अलग आतकंवादी गिरोहों के 30-40 आतंकवादी मणिपुर में घुसपैठ की कोशिश में हैं. अंदेशा है कि आने वाले दिनों में मणिपुर के साथ-साथ नागालैंड में भी बड़ी आतंकवादी वारदात हो सकती है.

भारतीय सेना ने इस साल की शुरुआत में म्यांमार सेना के साथ मिलकर म्यांमार के अड्डा जमाए आतंकवादी गिरोहों के खिलाफ़ बड़ी कार्रवाई की थी. कई हफ्तों तक चले इस ऑपरेशन सनराइज़ में बड़ी तादाद में आतंकवादी कैंपों को नष्ट किया गया था और आतंकवादियों को मारा गया था.

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