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चीन को मिल सकती है शह; अमेरिका ने सैनिक हटाए, उसी से रूस को हिम्मत मिली;

नई दिल्‍ली। यूक्रेन और रूस के बीच का संकट गहराता जा रहा है। अमेरिका का कहना है कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। पश्चिमी देश हालात को संभालने की कोशिशों में लगे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन सक्रियता के साथ इस प्रयास में लगे हैं कि युद्ध न हो। दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले से अमेरिका को कई तरह से नुकसान हो सकता है। ऐसी कोई भी स्थिति राष्ट्रपति के तौर पर बाइडन के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

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तीन दशक में पहली बार टकराव की स्थिति:

यूक्रेन नाटो का सदस्य देश नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावना नहीं है कि अमेरिका रूस से लड़ने के लिए अपने सैनिक यूक्रेन में भेजेगा। इसके बावजूद पिछले 30 साल में पहली बार दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों के बीच सीधे टकराव की स्थिति बन रही है। इस तरह की मांग उठ रही है कि 1980 और बाद के वर्षो में अमेरिका ने अफगानिस्तान में जिस तरह से रूस को पीछे हटने पर मजबूर किया था, वैसा ही कुछ यूक्रेन में किया जाए। अमेरिका की उसी रणनीति ने सोवियत संघ को विघटित कर दिया था। निश्चित तौर पर अब रूस ऐसी किसी भी स्थिति को पनपने नहीं देगा।

अमेरिका में घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ने का भी खतरा:

यूक्रेन पर रूस के हमले से तेल की कीमतें बढ़ेंगी। इसका सीधा असर अमेरिकी लोगों पर होगा। ईंधन की बढ़ी कीमतों का असर वहां की राजनीतिक पर स्पष्ट देखा जाता है। यह बात इसलिए भी अहम है, क्योंकि इस समय अमेरिका में महंगाई दर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह 1982 के बाद से सबसे ज्यादा है। यदि स्थिति बिगड़ी तो बाइडन के लिए घरेलू स्तर पर अपनी राजनीति को संभालना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी हाल में बाइडन की नीतियों को लेकर जिस तरह से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमलावर हुए हैं, उसने बाइडन की चिंता और बढ़ा दी है। ट्रंप खुलकर कह रहे हैं कि अफगानिस्तान से जिस तरह अमेरिका ने सैनिक हटाए, उसी से रूस को यह हिम्मत मिली है।

चीन को मिल सकती है शह:

यदि रूस ने यूक्रेन पर कब्जा कर लिया तो यह चीन को बढ़ावा देना वाला होगा। चीन भी ताइवान के मामले में ऐसा कर सकता है। यह स्थिति अमेरिका के लिए यूक्रेन से भी ज्यादा जटिल हो जाएगी। इसके अलावा ईरान और उत्तर कोरिया की तरफ से भी संकट की स्थिति बन सकती है। एक साथ इतने मोर्चे पर स्थिति को संभालना अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा।

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