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चीनी राजदूत ने की राष्ट्रपति संग बंद कमरे में गुप्त बैठक

ओली और प्रचंड खेमों के बीच टकराव से बढ़ी सियासी खींचतान के बीच एक बार फिर से चालबाज चीन की दखलअंदाजी सामने आई है। काठमांडू में जारी सियासी गतिरोध के बीच नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने मंगलवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की। इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि दोनों के बीच एक घंटे तक बातचीत चली। बता दें कि दो दिन पहले ही नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने ओली सरकार की सिफारिश को स्वीकार करते हुए देश की संसद को भंग कर दिया। नेपाल में अब मध्यावधि चुनावों की घोषणा हो चुकी है। अप्रैल में दो चरणों में चुनाव होंगे। राष्ट्रपति के अनुसार तीस अप्रैल और दस मई को चुनाव होना तय हुआ है।

इधर, नेपाल में मंगलवार को ही पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटाने और पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की घोषणा की। इससे पहले, ओली ने संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था।

सत्तारूढ़ दल एनसीपी इसके गठन के करीब दो साल बाद टूट की तरफ बढ़ रहा है। मई 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) का विलय हुआ था। प्रचंड द्वारा प्रधानमंत्री ओली पर पावर शेयरिंग के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाने के बाद पिछले कई महीनों से पीएम ओली और प्रचंड के बीच सत्ता को लेकर तकरार जारी है।

इस तनातनी को कम करने और इस साल पिछले कई मौकों पर दोनों के बीच सुलह कराने में चीनी राजदूत सफल रही हैं, मगर पिछले कुछ महीनों में चीन की कोशिश नाकाम होती दिखी। खासकर बीजिंग ने संकेत दिया कि वह प्रधानमंत्री के बदलने के पक्ष में नहीं है। मंगलवार को राष्ट्रपति के साथ चीनी दूत बातचीत को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मगर काठमांडू के राजनीतिक गलियाों में इस तरह की अटकलें जोरों पर थीं कि नेपाली राष्ट्रपति और चीनी राजदूत के बीच मंगलवार की बैठक कोरोना के टीकों की आपूर्ति पर चर्चा करने के लिए थी। हालांकि,  मुलाकात के बीच बातचीत के इस वर्जन को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। विदेश मामलों के जानकारों को नहीं लगता कि चीनी राजदूत कोविड के टीकों की आपूर्ति पर बैठक के लिए गई थी।

जब इस साल जुलाई में राष्ट्रपति भंडारी और पीएम ओली और उनके प्रतिद्वंद्वियों सहित अन्य राजनीतिक नेताओं के साथ राजदूत होऊ यांकी की बैठकों के बाद एक विवाद खड़ा हुआ था, तो चीनी दूतावास के प्रवक्ता झांग सी ने काठमांडू पोस्ट को बताया था कि चीन नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी को संकट में नहीं देखना चाहता है और उसने उम्मीद जताई थी कि नेपाली नेता अपने मतभेदों को खत्म कर लेंगे और एकजुट रहेंगे। झांग ने आगे कहा था कि दूतावास नेपाली नेताओं के साथ अच्छे संबंध रखता है और किसी भी सुविधाजनक समय पर सामान्य हित के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार है।

ओली और प्रचंड खेमों में खींचतान बढ़ी
मंगलवार को ही प्रचंड की अगुवाई वाले खेमे ने भी काठमांडू में अलग से केंद्रीय समिति की बैठक की। इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल एवं झालानाथ खनल के अलावा पूर्व कृषि मंत्री घनश्याम भुशाल समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। प्रचंड नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक में वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल को सर्वसम्मति से पार्टी का दूसरा अध्यक्ष नियुक्त किया। प्रचंड पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं। बैठक में पार्टी की केंद्रीय समिति के करीब दो-तिहाई सदस्य मौजूद रहे।

केंद्रीय समिति की सदस्य रेखा शर्मा ने कहा, ‘पार्टी के नियमानुसार अब प्रचंड और नेपाल बारी-बारी से बैठकों की अध्यक्षता करेंगे।’ काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में शर्मा के हवाले से कहा गया, ‘ पार्टी के खिलाफ जाने के चलते ओली को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।’ रिपोर्ट में पार्टी नेताओं के हवाले से कहा गया कि प्रचंड को बुधवार को संसदीय दल का नेता चुना जाएगा। वहीं, पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि केंद्रीय समिति की अगली बैठक बृहस्पतिवार के लिए प्रस्तावित की गई है।

नेपाल में क्या-क्या हो रहा
उधर, प्रचंड के नेतृत्व वाले खेमे ने भी भंग की गई संसद को बहाल करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक अलग याचिका दायर करने का फैसला किया है। अदालत में पहले ही इस मांग को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। एनसीपी की केंद्रीय समिति के सदस्य सुनिल मनंधर ने कहा कि पार्टी अन्य प्रमुख दलों के साथ मिलकर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन रैलियों का आयोजन करेगी।

इससे पहले दिन में, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने टूट की ओर बढ़ रही सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया। सत्तारूढ़ दल के दो प्रमुखों में से एक ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी की केंद्रीय समिति के अपने करीबी सदस्यों के साथ बैठक के दौरान नई समिति की घोषणा की। ओली खेमे की बैठक में नारायण काजी श्रेष्ठ को पार्टी प्रवक्ता के पद से हटाने का भी निर्णय लिया गया। केंद्रीय समिति के सदस्य बिनोद श्रेष्ठ ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्य एवं विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली को पार्टी का नया प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।

ओली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ”प्रचंड के खेमों के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच यह कदम उठाया गया। सत्तारूढ़ दल एनसीपी इसके गठन के करीब दो साल बाद टूट की तरफ बढ़ रहा है। मई 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) का विलय हुआ था।

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