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घड़ियाल’नपुंसक’ हो गए

सीधी. मध्य प्रदेश में घड़ियाल नपुंसक हो गए हैं. इसलिए उनकी वंश बेल भी नहीं बढ़ रही. जी हां, यह सच है. इसके पीछे की वजह है अधिकारियों की लापरवाही. नेता और अफसर खुद मान रहे हैं कि यहां के घड़ियालों की संख्या घट गई है. यहां महज 2 घड़ियाल बचे हैं और वो भी वंश बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. हालात ये हैं कि सांसद ने सीधी जिले की पहचान सोन अभ्यारण्य को समाप्त करने की सिफारिश कर दी है. अगर हालात नहीं बदले तो यह अभ्यारण्य बंद भी कर दिया जाएगा.

गौरतलब है कि, सीधी जिले के सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में घड़ियालों की संख्या दिन-प्रति-दिन कम होती जा रही है. यहां पिछले 5 सालों से घड़ियालों का वंश नहीं बढ़ा. विभाग का कहना है कि यहां 27 घड़ियाल हैं, लेकिन दिखाई देते हैं सिर्फ आधा दर्जन. अधिकारियों का कहना है कि अभ्यारण्य में नर घड़ियाल 2 से ज्यादा हैं, लेकिन वे वंश वृध्दि यें सक्षम नहीं हैं. इस समस्या से निदान के लिए यहां पिछले साल 5 घड़ियाल बाहर से लाए गए थे, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला.

दूसरी ओर, यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है. न अच्छी सड़के हैं और न ही ठहरने या खाने की उचित व्यवस्था है. जबकि, सोन घड़ियाल अभ्यारण्य के लिए 209 किलोमीटर का दायरा दिया गया है. इस दायरे में सोन और गोपद नदी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकती हैं. गौरतलब है कि, अभ्यारण्य की इस हालत के लिए कई बार वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पत्राचार भी हो चुका है, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला.
मामले को लेकर जब राज्य सभा सांसद अजय प्रताप सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सोन घड़ियाल अभ्यारण्य को समाप्त कर देना चाहिए. इसके लिए सरकार से सिफारिश की जाएगी. सिंह किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने सीधी आए हुए थे. उन्होंने अभ्यारण्य की स्थिति पर चिंता भी जाहिर की. वहीं, सोन घड़ियाल जोगदा केंद्र प्रबंधक जगजीवन सिंह का कहना है कि घड़ियाल तो हैं पर वे वंश बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. इस बात को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है.

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