ग्राम वासियों ने सम्मान में फैसला किया ….
आगरा । रामबाग चौराहे से हाथरस रोड पर करीब आठ किलोमीटर चलेंगे तो सड़क के दोनों ओर एक संपन्न गांव की झलक मिलती है। पोइया ग्राम पंचायत के इस गांव में प्रवेश करते ही राजनीति करवट बदलती मिली पंद्रह सौ की आबादी वाले इस गांव में 50 फीसद जाट हैं और वोटर 800 किसानों की राजनीति के समर्थक रहे ग्रामीणों ने वर्ष 1985 में चौधरी अजीत सिंह के यहां आने पर गांव का नाम ही बदल दिया था । तब इसे अजीतगढ़ पुकारा जाने लगा था।बदले हुए नाम का बोर्ड भी लगाया गया था। छोटे चौधरी की राजनीति के साथ चलने की शपथ भी खाई, लेकिन समय के साथ गांव की राजनीति बदल गई।
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गांव के लोगों ने छोटेे चौधरी के स्वागत सत्कार में दावत – एत्मादपुर विधान सभा क्षेत्र के गांव अजीतगढ़ (बगलघूंसा)की। आगरा- हाथरस रोड पर स्थित इस गांव में वर्ष 1985 में छोटे चौधरी अजित सिंह मेरठ से लखनऊ की यात्रा पर निकले तो इस गांव से गुजरे। इस गांव में रहने वाले निरंजन सिंह कहते हैं कि गांव के लोगों ने छोटेे चौधरी के स्वागत सत्कार में दावत दी थी। आसपास के 14 गांवों के लोग उनके स्वागत समारोह में शामिल हुए और सभी ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठकर दावत खाई। तभी सभी ग्राम वासियों ने सम्मान में फैसला किया कि गांव का नाम बगलघूंसा से बदलकर चौ. अजित सिंह के नाम पर अजीत गढ़ रखा जाए।
अजीतगढ़ के नाम से पट्टिका बनवाई गई। उसका अनावरण चौधरी अजित सिंह से करवाया गया। कुछ दिनों तक वह पट्टिका सड़क गांव में लगी रही। काफी प्रयास करने के बाद भी राजस्व विभाग के दस्तावेजों में ग्रामवासी अजित गढ़ नाम दर्ज नहीं करा सके। वही सेवानिवृत्त शिक्षक विजेंद्र सिंह ने वर्ष 2006 में अपने खेत में से प्राथमिक विद्यालय के लिए जगह दी। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय अजीतगढ़ रखा। शिक्षा विभाग के कागजों में प्राथमिक विद्यालय का नाम अजीतगढ़ से है। मगर, गांव का नाम अभी राजस्व में बगलघूंसा के नाम से ही दर्ज है। विजेंद्र सिंह का कहना है कि काफी प्रयास करने के बाद भी राजस्व अभिलेखों में बगलघूंसा की जगह अजीतगढ़ नहीं हो सका। इस गांव की राजनीति भी अब चौ. अजित सिंह के साथ कम ही चलती नजर आ रही है। गुरुवार को इस गांव के अधिकतर मतदाताओं ने भी विकास और बेहतर कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए वोट दिया।