अयोध्या

ग्रामीण महिलाओं को सतावर के खेती का दिया गया प्रशिक्षण

अयोध्या । आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या द्वारा किसानों के आय दुगना किए जाने के संबंध में कृषि क्षेत्र में लगी ग्रामीण महिलाओं को सतावर की आधुनिक खेती एवं पोषक तत्व की जानकारी वैज्ञानिक डॉ स्नेहा सिंह, उद्यान एवं वानिकी विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह , अधिष्ठाता डॉ ओ पी राव एवं डॉ डी राम के कुशल मार्ग निर्देशन में अयोध्या जनपद के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों रौनाही, मगलासी, सुहावल ,देमुआघाट आदि ग्रामों की किसान महिलाओं को सतावर की आधुनिक खेती कैसे की जाए की जानकारी दी गई, जिससे किसान अपनी आय को दोगुना कर सकें।वैज्ञानिक डॉ स्नेहा सिंह ने बताया कि सतावर एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। सतावर की कंदील जड़े मधुर व रस युक्त होती हैं । इसकी औषधीय गुणवत्ता बुद्धिवर्धक दुग्धवर्धक, बलकारक, मानसिक रोग, अतिसार वात, पित्त विकार दूर करने वाली है। इसकी खेती के लिए बलुई,बलुई दोमट, लाल मिट्टी जिसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था हो, उचित होती है ।
इसकी बुवाई में प्रति हेक्टेयर 2.00 से 2.50 किलोग्राम की बीज की आवश्यकता होती है। इसकी नर्सरी बेड के रूप में, पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते हैं। लगभग 1 माह के बाद बीजों का अंकुरण होता है, नर्सरी में मई के अंतिम सप्ताह में बोये गए बीज अंकुरण के पश्चात मध्य जुलाई से अगस्त तक तैयार मुख्य खेत में रोपित किया जाता है । इसमें गोबर की खाद का ही प्रयोग किया जाना लाभकारी है। अच्छी पैदावार के लिए महीने में एक बार निराई गुड़ाई की आवश्यकता होती है। सतावर रोपाई के 24 से 30 माह बाद पौधे की खुदाई सर्वोत्तम है, जो दिसंबर एवं जनवरी माह के मध्य में किया जाना चाहिए।जिससे प्रति हेक्टेयर 60 से 80 कुंतल सुखी शतावर प्राप्त की जा सकती है। इस उत्पाद (सतावर) को बाजार में अच्छे दामों पर औषधीय कंपनियां क्रय  कर लेती है । जिससे किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।

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