अंतराष्ट्रीय

ग्रामीणों ने हथौड़े से ही तोड़कर 1200 किलोमीटर लंबी बना दी सुरंग

कहते हैं इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता है? चीन के हेनान प्रांत में मौजूद एक छोटे से गांव के लोग बाकी देश से सैकड़ों सालों से कटे हुए थे. उनके सामने एक बड़ा सा पहाड़ था, जो उनकी तरक्की की राह रोके खड़ा था. आखिरकार एक दिन ग्रामीणों ने तय कर लिया कि वो पहाड़ से अपनी तरक्की रुकने नहीं देंगे. फिर क्या था 1200 किलोमीटर लंबी सुरंग उन्होंने हाथ से ही खोद डाली.

इस टनल का नाम गुओलियांग सुरंग है. बताते हैं कि गुओलियांग नाम के पहाड़ी गांव के नाम पर ही इस टनल का नाम है. इस गांव के लोगों का रास्ता 400 सालों से एक पहाड़ रोके हुए खड़ा था. नाम के पहाड़ से शहर तक जाने का एक ही रास्ता था – स्काई लैडर , लेकिन इसमें काफी वक्त लग जाता है और थकान भी बहुत होती थी. इस सीढ़ियों वाले रास्ते को सॉन्ग वंश के राजाओं ने 960-1279 के बीच बनवाया था.

इस रास्ते से व्यापार और शिक्षा के साथ तरक्की भी संभव नहीं थी. ऐसे में एक दिन गांव के ही एक बुजुर्ग ने लोगों से ये बात कही कि अगर पहाड़ में से रास्ता बन जाए तो उनका कितना फायदा होगा. स्काई लैडर से आने-जाने में 3-4 घंटे बर्बाद होते थे और सामान भी सीमित मात्रा में जा पाता था. आखिरकार बिना किसी इंजीनियरिंग या कोई शिक्षा लिए गांव के ही 13 लोगों ने पहाड़ में सुरंग खोदने का काम शुरू कर दिया. उनके साथ में छीनी और हथौड़ी जैसे सामान्य उपकरण थे. रस्सियों के सहारे पहाड़ से लटककर उन्होंने एक-एक इंच की सुरंग खोदी. तीन दिन में मात्र 1 मीटर की खुदाई हो पाती थी.

इस रास्ते से व्यापार और शिक्षा के साथ तरक्की भी संभव नहीं थी. ऐसे में एक दिन गांव के ही एक बुजुर्ग ने लोगों से ये बात कही कि अगर पहाड़ में से रास्ता बन जाए तो उनका कितना फायदा होगा. स्काई लैडर से आने-जाने में 3-4 घंटे बर्बाद होते थे और सामान भी सीमित मात्रा में जा पाता था. आखिरकार बिना किसी इंजीनियरिंग या कोई शिक्षा लिए गांव के ही 13 लोगों ने पहाड़ में सुरंग खोदने का काम शुरू कर दिया. उनके साथ में छीनी और हथौड़ी जैसे सामान्य उपकरण थे. रस्सियों के सहारे पहाड़ से लटककर उन्होंने एक-एक इंच की सुरंग खोदी. तीन दिन में मात्र 1 मीटर की खुदाई हो पाती थी.

जैसे-जैसे सुरंग दिखाई देने लगी, और भी ग्रामीण इस काम में शामिल होने लगे. 5 सालों में ग्रामीणों ने मिलकर 1250 मीटर लंबी सुरंग खोद डाली. इस सुरंग का नाम रखा गया और पहली बार पहाड़ी गांव से शहर की सड़क तक कारें जा सकीं. इस टनल ने उनकी ज़िंदगी ही बदलकर रख दी. समुद्र से 1700 मीटर ऊंचाई पर बसे गांव से लोग शहर तक आने लगे. लोगों का पलायन रुक गया और कई बार तो लोग सिर्फ इस टनल को देखने ही यहां तक आते थे. साल 2018 तक ये टनल और गांव टूरिस्ट स्पॉट बन गए और यहां के लोगों ने होटलिंग और रेस्टोरेंट के बिजनेस कर

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