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 गेट परीक्षा टालने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, दिया यह तर्क

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के चलते ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) को स्थगित करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछेक दिन पहले एग्जाम टालने से लाखों स्टूडेंट्स के बीच अराजकता और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी। कोविड-19 के चलते परीक्षा टालने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह उन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते, जिन्होंने इसके लिए तैयारी की है।

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, ‘इस तरह के अकादमिक मामलों में दखल देना कोर्ट के लिए खतरनाक है। हम स्टूडेंट्स के करियर से खिलवाड़ नहीं कर सकते। हमें परीक्षा कराने वाली अथॉरिटी को ही इस पर फैसला लेने की अनुमति देनी चाहिए। एग्जाम 5 फरवरी से है। ज्यादातार स्टूडेंट्स तैयारी कर चुके होंगे। परीक्षा टालने जैसा कोई भी आदेश स्टूडेंट्स के बीच अराजकता व अनिश्चितता पैदा करेगा।’

अब गेट परीक्षा का आयोजन तय शेड्यूल (5, 6, 12 और 13 फरवरी) के मुताबिक ही होगा। गेट दो शिफ्ट में आयोजित होगी। करीब 9 लाख अभ्यर्थी इसमें हिस्सा लेंगे। पहली शिफ्ट सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक चलेगी और दूसरी शिफ्ट दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक आयोजित होगी। परीक्षा के परीक्षा प्रवेश पत्र जारी किए जा चुके हैं। इस बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर परीक्षा का आयोजन कर रही है। गेट की परीक्षा इंजीनियरिंग के मास्टर्स प्रोग्राम में प्रवेश और कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में भर्ती के लिए छात्रों के इंजीनियरिंग और विज्ञान में स्नातक स्तर के विषयों के ज्ञान और समझ की परख के लिए आयोजित की जाती है।

आपको बता दें कि शीर्ष अदालत बुधवार को गेट परीक्षा टालने की मांग संबंधी याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए राजी हो गई थी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थी विद्यार्थियों की ओर से वकील पल्लभ मोंगिया की गुहार पर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी। वकील ने यह गुहार ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष से लगाई थी।

याचिका में कोरोना और विभिन्न राज्यों में लगी कोविड पाबंदियों के चलते गेट परीक्षा पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि 200 केन्द्रों पर नौ लाख छात्र परीक्षा देंगे, लेकिन अधिकारियों ने परीक्षा आयोजित करने के लिए कोई कोविड-19 संबंधी कोई स्पष्ट दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि गाइडलाइंस ने स्टूडेंट्स के बीच कंफ्यूजन की स्थिति पैदा की है। इससे परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के बीच अनावश्यक वर्गीकरण हो रहा है। कानून और मेडिकल तौर पर कौन सा छात्र परीक्षा में बैठ सकता है और कौना सा नहीं, इसे लेकर असमंजस की स्थिति है। गाइडलाइंस में ऐसे एसिम्प्टोमैटिक छात्रों को परीक्षा देने की इजाजत दी गई है जिन्हें मामूली लक्षण हैं लेकिन एसिम्प्टोमैटिक छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं है जो कोविड पॉजिटिव आए हैं।

 

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