धर्म - अध्यात्म
गुड़ी पड़वा से ही शुरू होता है हिंदू नव वर्ष इन 4 कारणों से
हिंदू नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत भी कहते हैं। इस बार हिंदू नव वर्ष 8 अप्रैल, शुक्रवार से शुरू होगा। इसे गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है। जानिए गुड़ी पड़वा के दिन ही क्यों मनाया जाता है हिंदू नव वर्ष-
1. ब्रह्म पुराण हिंदू धर्म का प्राचीन ग्रंथ है। इसके अनुसार पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया था। इसीलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार चारों युगों में सबसे प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था। इस दिन से सृष्टि का कालचक्र प्रारंभ हुआ था। इसे सृष्टि का पहला दिन भी माना जाता है।
2. शास्त्रों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी गुड़ी पड़वा के दिन ही हुआ था। वहीं धर्मराज युधिष्ठिर भी इसी दिन राजा बने थे और उन्होंने ही युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरंभ इसी तिथि से किया था।
3. मां दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि भी इसी तिथि से प्रारंभ होती है। ऐसी मान्यता है कि साल के पहले नौ दिनों में माता की आराधना से प्राप्त शक्ति से साल भर जीवन शक्ति का क्षय नहीं होता।
4. उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के सम्राट विक्रमादित्य ने भी विक्रम संवत् का प्रारम्भ इसी तिथि से किया था। महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की गई थी।