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गणित से छात्र ही नहीं शिक्षकों को भी लगता है डर!

दुनिया में शायद ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्हें मैथ्स से डर नहीं लगता होगा. गणित सामने आते ही लोगों को ऐसे डर लगने लगता है जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो. यूं तो लोग इसे मजाक में लेते हैं मगर गणित के कारण डर लगाना कई लोगों के लिए बड़ी बात होती है क्योंकि बहुत से लोगों को गणित से चिंता या एंग्जाइटी की समस्या भी पैदा होने लगती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकरक है. मगर अब गणित के डर से जुड़े एक दावे ने सभी को हैरान कर दिया जो टीचर्स से जुड़ा हुआ है.

कई लोगों को ऐसा लगता है कि सिर्फ विद्यार्थियों को ही गणित से डर लगता है मगर ऐसा नहीं है. एक एक्सपर्ट ने अपनी रिसर्च के जरिए दावा किया है कि स्टूडेंट्स के साथ-साथ टीचर्स को भी मैथ्य एंग्जाइटी हो सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ डर्बी में साइकोलॉजी के एसोशिएट प्रोफेसर और द मैथेमैटिक्स एंग्जाइटी रिसर्च ग्रुप के लीडर डॉ. थॉमस हंट ने ये दावा किया है. द मिरर वेबसाइट से बात करते हुए उन्होंने कहा- “गणित एक तरह से टैबू विषय माना जाता है क्योंकि वो आम बातचीत में इस्तेमाल नहीं किया जाता. मुझे लगता है कि टीचर्स, खास कर ट्रेनिंग टीचर्स पर खुद को साबित करने का दबाव होता है. उनसे ये उम्मीद की जाती है कि उन्हें हर सवाल का जवाब आता हो. ऐसे में उनकी खुद से भी उम्मीदें बढ़ने लगती हैं और वो एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं.” उन्होंने कहा- “जब मैंने कई ट्रेनिंग टीचर्स और अन्य शिक्षकों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें अक्सर पढ़ाते वक्त एंग्जाइटी हो जाती है और उन्हें नहीं पता होता कि उन्हें इन सबको कैसे डील करना है.”

प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के बच्चों में एक रिसर्च की जिससे उनको पता चला कि जो लोग प्राइमरी स्कूल के टीचर बनना चाहते हैं उनमें मैथ्य एंग्जाइटी सबसे ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि जिस टीचर को मैथ्स की एंग्जाइटी है अगर वो ज्यादा बच्चों की कक्षा में पढ़ाता है तो उसके एंग्जाइटी का लेवल तो बढ़ ही जाता है, साथ में बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता है. आपको बता दें कि मैथ्य एंग्जाइटी एक तरह का मैथ्य फोबिया यानी डर होता है. इसमें टीचर्स को तब डर लगने लगता है जब वो बच्चों के सामने कोई सवाल हल कर रहे होते हैं या फिर उनके जवाबों को जांच करे होते हैं. प्रोफेसर ने इस निपटने के लिए संवाद स्थापित करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि टीचर को बच्चों से और स्कूल प्रशासन को टीचर्स से संवाद स्थापित करना चाहिए जिससे उनकी ये एंग्जाइटी खत्म हो सके.

 

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