खाने के तेल में मिली रहात, अडानी विल्मर ने क्या संभावना बताई;
नई दिल्ली। खाने के तेल की कीमतें अब और ऊपर नहीं जाएंगी। मस्टर्ड ऑयल और सोयाबीन ऑयल की कीमत धीरे-धीरे पहले के स्तर पर आ जाएंगी। हाल में खाद्य तेल कंपनियों ने अपने-अपने ब्रांड के खाने के तेल में 10 से 15 फीसदी तक कमी की है। इनके और नीचे आने की उम्मीद है। खाद्य तेल कंपनी अडानी विल्मर लिमिटेड (एडब्ल्यूएल) ने यह उम्मीद जताई है।
कंपनी के सीईओ अंगशू मलिक ने बताया कि खाने के तेल की कीमतें 2 साल में काफी बढ़ गई हैं। इनमें अब नरमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि लोकल स्तर पर प्रोडक्शन बढ़ रहा है। बीते 5 साल में मस्टर्ड और सोयाबीन फसल का उत्पादन भी बढ़ा है। हालांकि भारत अब भी अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा आयात करता है।
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सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में खाद्य तेलों के आयात पर देश का खर्च 75 प्रतिशत के उछाल के साथ 1,04,354 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। सोपा के चेयरमैन डेविश जैन के मुताबिक पिछले कारोबारी साल 2020-21 के दौरान अप्रैल से दिसंबर के बीच देश ने खाद्य तेल आयात पर 59,543 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
अडानी विल्मर ने अपने 3,600 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए शुक्रवार को मूल्य दायरा 218-230 रुपये प्रति शेयर तय कर दिया है। अडानी एंटरप्राइजेज ने शुक्रवार को बताया कि कंपनी का आईपीओ 27 जनवरी को अभिदान के लिए खुलेगा और 31 जनवरी को बंद होगा। एंकर निवेशकों के लिए बोली 25 जनवरी को खुलेगी।
खाद्य तेल कंपनियों ने अपने-अपने ब्रांड के Edible oil में 10 से 15 फीसदी तक कमी की है।
कंपनी के सीईओ अंगशू मलिक ने बताया कि खाने के तेल की कीमतें 2 साल में काफी बढ़ गई हैं। इनमें अब नरमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि लोकल स्तर पर प्रोडक्शन बढ़ रहा है। बीते 5 साल में मस्टर्ड और सोयाबीन फसल का उत्पादन भी बढ़ा है।