क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी जामा?, जाने भारत समेत दुनिया भर में कैसा बाजार
नई दिल्ली। सरकार आने वाले समय में डिजिटल रुपी लाने जा रही है। इससे लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न उठने लगे हैं। इन सवालों में सबसे महत्वपूर्ण है कि क्या सरकार क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी जामा पहनाने जा रही है? क्रिप्टोकरेंसी में अगर आपका पैसा डूबता है तो क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी? क्रिप्टोकरेंसी का भारत समेत दुनिया भर में कैसा बाजार है और क्या ट्रेंड है?
दुनिया की आर्थिक नीतियों और क्रिप्टो को लगतार मिलती स्वीकृति को ध्यान में रखते हुए ये सही दिशा में उठाया गया कदम है। सीए मनीष गुप्ता का कहना है कि वर्तमान में हमारे देश में क्रिप्टोकरंसी के आदान-प्रदान पर यूं तो रोक नहीं है लेकिन इनका आदान-प्रदान आधिकारिक नहीं है। इस बजट में वर्तमान में चल रही क्रिप्टोकरंसी यानी डिजिटल करेंसी पर क्रय विक्रय से होने वाले लाभ पर 30ः का टैक्स लगाया गया है जबकि इससे होने वाली हानि को क्रिप्टो के होने वाले दूसरे लास से समायोजित नहीं किया जा सकता अर्थात क्रिप्टो के नुकसान को सेट आफ और कैरी फारवर्ड नहीं किया जा पाएगा।
बजट के बाद निवेश में क्या हुआ बदलाव
बीते कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी के इतने पापुलर होने की वजह क्या है? हमने इन सारे सवालों के उत्तर एक्सपर्ट से बात कर तलाशें। सीए भूपेंद्र दीक्षित का कहना है कि अब केंद्रीय बैंक आरबीआइ इसी ब्लाक चेन तकनीक पर अपनी वर्चुअल करंसी लेकर आएगा। करोड़ों भारतीय इस करंसी में लेन देन कर रहे हैं। उनकी चिंता अब कम हो गई है। उन्हें अब यह भय खत्म हो गया है कि क्रिप्टो करेंसी बैन होगी।
फिलहाल विदेशों में क्रिप्टों करंसी का प्रचलन है। आशीष सिंघल, फाउंडर और सीईओ, काइनस्विच और को-चेयर ब्लाकचौन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) का कहना है कि हम डिजिटलीकरण में तेजी लाने के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को इंट्रोड्यूस करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। हम यह भी मानते हैं कि डिजिटल भुगतान अपनाने में सुधार के लिए बजट में जिन विभिन्न उपायों की घोषणा की गई है, उनकी सहायता से और अधिक डिजिटल-प्रेमी भारतीयों को फाइनेंस इकोसिस्टम में शामिल किया जाएगा।
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ये ऐसे लोग हैं, जो निवेश और धन कमाने के नए रूपों का पता लगाने के इच्छुक हैं। सरकार की ओर से करारोपण से संबंधित नियामक मार्गदर्शन भारत में 6 बिलियन डालर से अधिक के निवेश के साथ इस उभरते बिजनेस की मुख्यधारा को आगे बढ़ाता है। चूंकि क्रिप्टो एक सट्टा लेन-देन है, लिहाजा इस पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाया गया है, ये क्रिप्टोकरेंसी पर महंगे टैक्स के तौर पर नहीं बल्कि सभी सट्टा ट्रांजेक्शन के ऊपर है। घुड़दौड़ या लाटरी जैसे सट्टे पर आमदनी पर भी 30 फीसदी टैक्स है और क्रिप्टो के भी ऊपर यही दर लगाई गई है।
अर्थशास्त्री मनमोहन शर्मा कहते हैं कि क्रिप्टो करेंसी का चलन पूरी दुनिया मे बढ़ा है। कई देशों ने इसे मान्यता भी दे दी है। बजट में क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स लगाए जाने का कदम देश की इकोनामी और सरकार की आय को बढ़ाने के लिए सही कदम है। इस कदम से क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने में भी मदद मिलेगी।