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क्या इतिहास दोहरा पाएंगी ममता बनर्जी?

नई दिल्ली: भवानीपुर विधानसभा सीट पर गुरुवार को हुए उपचुनाव में वोटो की गिनती रविवार यानी आज होनी है.आज यह फैसला भी हो जाएगा कि ममता बनर्जी आगे भी राज्य की मुख्यमंत्री रहेंगी या नहीं. रविवार का दिन ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम है. अगर वे चुनाव में हार जाती हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा.

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि उपचुनाव के दौरान भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में 57 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था. रविवार को चुनाव आयोग सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू करेगा और दोपहर बाद तक काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी कि बंगाल में कौन सीएम होगा. आइए जानते हैं उपचुनाव से जुड़ी कुछ खास बातें:

सबसे पहले बात करते हैं चर्चा में बने भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की. भवानीपुर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक विधानसभा क्षेत्र है. 2011 में परिसीमन के बाद भवानीपुर अस्तित्व में आया था. भवानीपुर शुरू से ही तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रहा है. ममता बनर्जी का कालीघाट आवास इसी निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, टीएमसी ने 2011 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 184 सीटों पर जीत हासिल की और 34 साल पुराने वाम मोर्चा शासन को खत्म किया. उस समय बनर्जी ने चुनाव नहीं लड़ा था. टीएमसी विधायक और तत्कालीन मंत्री सुब्रत बख्शी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाली बनर्जी के लिए जगह बनाने के लिए सीट छोड़ दी थी. बाद में बनर्जी ने उपचुनाव जीतकर अपनी कुर्सी बचा ली. इस बार भी माहौल कुछ ऐसा ही है. ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए भवानीपुर में जीत दर्ज करनी होगी.

1. ममता बनर्जी: तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 2016 के विधानसभा चुनाव में भवानीपुर सीट को बरकरार रखा. इस साल भी उन्हें सीएम बने रहने के लिए यह सीट जीतनी होगी.

2. प्रियंका टिबरेवाल: भाजपा ने 41 वर्षीय वकील और पश्चिम बंगाल में पार्टी की युवा शाखा की उपाध्यक्ष प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारा, जो कलकत्ता में पश्चिम बंगाल के चुनाव बाद हिंसा के मामलों में याचिकाकर्ताओं और पार्टी के वकील में से एक थीं.

3. श्रीजीब बिस्वास: वाम मोर्चे ने बनर्जी और तिबरेवाल के खिलाफ लड़ने के लिए श्रीजीब विश्वास को मैदान में उतारा.

मतदान के दिन भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र के कुछ इलाकों से भाजपा और टीएमसी समर्थकों के बीच हाथापाई की छिटपुट घटनाएं हुईं. भवानीपुर में एक बूथ के बाहर टीएमसी और भाजपा के समर्थकों के बीच मामूली हाथापाई की सूचना मिली थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सत्तारूढ़ दल मतदान केंद्र के अंदर नकली मतदाताओं को ला रहा है. हालांकि बाद में सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया. चुनाव आयोग को अब तक 97 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 91 को रद्द कर दिया गया है. इन 97 शिकायतों में से 85 शिकायतें भवानीपुर उपचुनाव से संबंधित थीं.

रविवार को मतगणना से पहले चुनाव आयोग ने त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए हैं. मतगणना के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो इसके लिए केंद्रीय बलों की 24 कंपनियों को बुलाया गया है. एक दिन पहले ही मतगणना केंद्र पर उन्हें तैनात कर दिया गया है. केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मतदान केंद्र में आने वाले अधिकारियों को केवल पेन और कागज ले जाने की अनुमति दी जाएगी, जबकि सिर्फ रिटर्निंग अधिकारी को मतदान केंद्र में फोन का उपयोग करने की इजाजत होगी. मतदान केंद्र में आने वाले सभी अधिकारियो को कोविड का निगेटिव प्रमाणपत्र भी देना आवश्यक होगा.

2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में, बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन यहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. ममता को बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने शिकस्त दी. शुभेंदु टीएमसी के पूर्व नेता हैं. ममता बनर्जी को नंदीग्राम में 1,956 वोटो से हार का सामना करना पड़ा था. अब सीएम पद में बने रहने के लिए ममता बनर्जी को भवानीपुर से जीत दर्ज करना बेहद जरूरी है.

 

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