कोई पांच दिन तो कोई 36 दिन बाद जा मिला 72 हूरों से !!
श्रीनगर – बदीगाम शोपियां में करीब चार साल बाद दोबारा गोलियों की आवाज गूंजी। गत वीरवार को जब यह गूंज शांत हुई तो लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकी 72 हूरों से जा मिले थे। इनमें से किसी की हूरों से मिलन की उम्मीद 36 दिन में पूरी हुई तो किसी की पांच दिन में। इन चारोंं आतंकियों के घर भी एक दूसरे से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर ही हैं।दक्षिण कश्मीर के बदीगाम शोपियां में वीरवार को सुरक्षाबलों ने आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर एक तलाशी अभियान चलाया था।
तलाशी अभियान कुछ ही देर में मुठभेड़ में बदल गया। चार घंटे तक दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई। मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों को गोलियों से छलनी हुए चार आतंकियों के शव मिले। उनकी पहचान सुगन गांव के शौकीन अहमद ठोकर व फारुक अहमद बट और हेफकुरी गांव के आकिब अहमद ठोकर व वसीम अहमद ठोकर के रूप में हुई।
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मारे गए चारों आतंकियों में से दो मार्च में और दो इसी माह राष्ट्रविराेधी तत्वों के दुष्प्रचार से गुमराह हो , 72 हूरों की चाह में तथाकिथत जिहाद के रास्ते पर बंदूक लेकर निकले थे। आकिब 10 मार्च को, फारुक 15 मार्च को, वसीम पाच दिन पूर्व नौ अप्रैल को और शौकीन 11 दिन पहले तीन अप्रैल को आतंकी बने थे। आकिब 36 दिन में ही मारा गया जबकि वसीम बंदूक उठाने के बाद पांच दिन ही जिंदा रह सका। शौकीन को 10 दिन ही बच सका और फारुक करीब 27 दिन बाद सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। इन चारों आतंकियों के घर एक दूसरे से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित हैं। आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि बदीगाम की मुठभेड़ साबित करती है कि आतंकियों की जिंदगी कोई लंबी नहीं होती। आतंकियों के लिए अभी भी मौका है, वह हथियार डाल दें,अन्यथा मारे जाएंगे।
चार साल पहले बदीगाम में मारे गए थे हिज्ब के पांच आतंकी
बदीगाम में करीब चार वर्ष पूर्व पांच मई 2018 को सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी सद्दाम पडर को उसके चार अन्य साथियों बिलाल मौलवी, तौसीफ शेख, आदिल ठोकर और प्रो राफी को मार गिराया था। प्रो राफी जिला गांदरबल का रहने वाला था और कश्मीर विश्वविद्यालय में पढ़ाता था। वह आतंकी बनने के 48 घंटे बाद मारा गया था।