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कॉनकोर सहित इन तीन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में सरकार

केंद्र सरकार देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी बीपीसीएल के बाद तीन अन्य सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इसके लिए सरकार ने बोलियां मंगाई है। जिन कंपनियों के लिए बोली मंगाई है, उनमें भारतीय रेलवे की कंपनी कॉनकोर भी शामिल है।  इस वित्त वर्ष के दौरान तीन सरकारी कंपनियों कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कोनकोर), नीपको और टीएचडीसी इंडिया में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी बेचने के लिए परामर्शकों से बोलियां मांगी हैं। इस महीने की शुरुआत में कैबिनेट ने कोनकोर की 30 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी थी। वर्तमान में सरकार की कंपनी में 54.80 फीसदी हिस्सेदारी है और हिस्सेदारी बेचने से उसका कंपनी पर नियंत्रण नहीं रहेगा। इसके अलावा कैबिनेट ने बिजली कंपनियों टीएचडीसी इंडिया और नीपको की हिस्सेदारी एनटीपीसी को बेचने की भी मंजूरी दे दी थी।

निजीकरण करना सरकार की प्राथमिकता

निजीकरण सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। यही वजह है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की चुनिंदा कंपनियों (पीएसयू) में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसदी से भी कम करने की योजना बनाई है।पीएसयू कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करने के लिए कानूनों में संशोधन करने होंगे और सुनिश्चित करना होगा कि ये कंपनियां केंद्रीय सतर्कता आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की निगरानी के दायरे से बाहर रहें।

अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट ने पूर्व में पीएसयू कंपनियों में कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी रखने का फैसला किया था और अब कैबिनेट को ही हिस्सेदारी इस स्तर से नीचे ले जाने पर फैसला करना होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) में हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करने का प्रस्ताव/योजना तैयार कर रही है।’ अधिकारी ने कहा कि यह संभव है, लेकिन इसके लिए कंपनी कानून की धारा 241 में संशोधन की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा कि अगले तीन-चार साल के लिए निजीकरण सरकार की ‘शीर्ष प्राथमिकता’ है। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रधानमंत्री से पूरा समर्थन है। इस समर्थन के साथ मुझे 100 फीसदी भरोसा है कि जो भी बेचने लायक है उसे बेच दिया जाएगा और जो बेचने लायक नहीं है उसके लिए कोशिश की जाएगी।’

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