दिल्ली

कैसे पार होगी कांग्रेस की नैया?

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा भले ही मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, पर जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर होने से पार्टी अपने वादों को जनता तक नहीं पहुंचा पा रही है। वहीं, ‘महिला हूं, लड़ सकती हूं’ के नारे के जरिये महिलाओं में कांग्रेस के प्रति विश्वास जगाने के लिए पार्टी को अभी लंबा सफर तय करना पड़ेगा।

रणनीतिकार मानते हैं कि पार्टी महिलाओं को टिकटों में हिस्सेदारी और उनके कल्याण से जुड़े वादों को मतदाताओं खासकर महिलाओं तक नहीं पहुंचा पाई है। यूपी में कांग्रेस महिलाओं को केंद्र में रखकर विधानसभा चुनाव लड़ रही है।

पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर कहते हैं कि जमीनी स्तर खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस का संगठन लगभग खत्म हो चुका है। गांव देहात में जो पुराने कांग्रेसी थे, उनकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई या वह अब जीवित नहीं रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में पार्टी संगठन सिर्फ समितियों तक सीमित है। हम नए लोगों को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में हमारे लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना भी एक चुनौती है।

कांग्रेस नेता मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर वही उम्मीदवार जीत सकता है, जिसका अपना कोई निजी जनाधार है। वह जनाधार जाति के आधार पर हो या किसी अन्य वजह से। कोई प्रत्याशी सिर्फ कांग्रेस के नाम पर चुनाव नहीं जीत सकता है। क्योंकि, पार्टी के पास कोई जनाधार नहीं है। पिछले चुनावों में कई विधानसभा सीट पर पार्टी उम्मीदवार को दो-ढाई हजार तक ही वोट मिले थे।

 

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