खेल

किसान की बेटी सीमा बिसला का ओलंपिक तक का सफर

रोहतक. टोक्यो ओलंपिक के कुश्ती मुकाबले में रोहतक की सीमा बिसला भी अपना दम दिखाने जा रही हैं. किसान परिवार में पैदा हुईं सीमा को ओलिंपिक तक का सफर तय करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. वह फ्री स्टाइल कुश्ती के 50 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. कुश्ती खिलाड़ी सीमा बिसला का जन्म रोहतक के गुढाण गांव में हुआ था.

साल 2006 में रोहतक में रहने वाली उनकी बड़ी बहन उन्‍हें अपने पास ले आई. उनके जीजा नफे सिंह हरियाणा पुलिस में हैं और वह भी पहलवान रहे हैं. उन्होंने सीमा की गतिविधियों और व्यवहार को देखते हुए उन्‍हें कुश्ती में डालने की ठान ली. सीमा के जीजा नफे सिंह बताते हैं कि बचपन से सीमा शरारती रही हैं. बढ़ती उम्र के साथ कुश्ती के प्रति उनका जुनून भी बढ़ता गया. सुबह चार बजे सीमा अपनी प्रैक्टिस के लिए मेट पर पहुंच जाती थीं. मेट पर सीमा का जोश उसे दूसरे खिलाड़ियों से अलग बनाता है.

नफे सिंह ने बताया कि सीमा के पिता किसान हैं, लेकिन पिछले दो साल से कैंसर से पीड़ित हैं. परिवार गांव में ही रहता है. साल 2004 से सीमा ने अपने खेल की शुरुआत कर अधिकतर सभी टूर्नामेंट्स में मेडल हासिल किए हैं. हाल ही में सीमा ने कॉमनवेल्थ और नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया था. वहीं, वर्ल्ड ओलंपिक क्वालीफायर्स में भी पहला स्थान प्राप्त कर चुकी हैं.

इस सफर के बीच सीमा एक बार चोटिल भी हो गई थीं. डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा था, लेकिन सीमा की जिद्द ने उन्‍हें रुकने नहीं दिया. चोट लगने के बावजूद भी प्रैक्टिस बंद नहीं की. सीमा की बड़ी बहन सुशीला देवी घर में उनकी डाइट का खूब ख्याल रखती हैं. उनका कहना है कि जब भी वजन कम और ज्यादा करना होता है तो उचित डाइट देकर वे मदद करती थी.

सुशीला ने बताया कि सीमा का कुश्ती के प्रति जुनून इस कदर था कि अपने भाई की शादी में भी न पहुंचकर पुणे के कैंप में अभ्यास किया. ओलंपिक तक पहुंचने के लिए सीमा ने ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार ने संघर्ष के साथ-साथ कई त्याग किए हैं. फिलहाल पूरा परिवार उनकी जीत के लिए टकटकी लगाए बैठा है. उन्हें उम्मीद है कि सीमा स्वर्ण पदक हासिल कर भारत का नाम रोशन करेगी.

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