कारोबारियों का जीएसटी स्कोर क्या है – जानिए

नई दिल्ली। जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में कोताही बरतने या जीएसटी के मामले में कोई भी फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए कारोबार करना अब आसान नहीं रह जाएगा। इस प्रकार के कारोबारियों से दूसरे कारोबारी माल नहीं खरीदेंगे क्योंकि डिफाल्टर कारोबारी से माल खरीदने वाले कारोबारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगी। इस साल एक फरवरी को पेश बजट में आईटीसी नियम को सख्त बनाने के लिए कई प्रस्ताव रखे गए हैं। आगामी अप्रैल से इन प्रस्तावों को लागू कर दिया जाएगा।बजट प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी किसी कारोबारी ने हाल-फिलहाल में जीएसटी नेटवर्क पर पंजीयन कराया है तो उससे माल खरीदने पर आइटीसी मिलने में दिक्कत आ सकती है।
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प्रस्ताव के मुताबिक भविष्य में एक सीमा
जीएसटी विशेषज्ञों ने बताया कि प्रस्ताव के मुताबिक भविष्य में एक सीमा से अधिक कारोबारियों को आईटीसी नहीं दिया जाएगा। नियम को लागू करते समय इस सीमा का खुलासा किया जाएगा। शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित नियम के लागू होने के बाद कारोबारी काफी जांच-परख के बाद अपने सप्लायर का चयन करेंगे। इसकी वजह यह है कि सप्लायर के कारोबार में किसी भी प्रकार की कमी का खामियाजा उसके कारोबारी ग्राहकों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस काम में सहूलियत के लिए केरल में कारोबारियों की जीएसटी रे¨टग शुरू हो गई है। इससे यह पता चल जाता है कि कारोबारियों का जीएसटी स्कोर क्या है और एक सीमा से कम स्कोर वालों से माल खरीदने से पहले लोग कई बार सोचेंगे।
सरकार के प्रस्तावित नियम से ईमानदारी से टैक्स देने वाले कारोबारियों को काफी फायदा होने जा रहा है।नए प्रस्ताव के मुताबिक किसी कारोबारी ने एक पैन नंबर से ही कई राज्यों में जीएसटी नंबर लिया हुआ है तो वह एक राज्य के खाते से दूसरे राज्य में राशि ट्रांसफर कर सकेगा। पहले यह सहूलियत नहीं थी। इससे कारोबारियों का काम आसान होगा।
पंजीकृत कारोबारी से माल खरीदने
जीएसटी कानून विशेषज्ञों के मुताबिक प्रस्तावित नियम को लागू करने के दौरान यह बताया जाएगा कि नए पंजीकृत कारोबारी से माल खरीदने के कितने दिनों के बाद आइटीसी दिया जाएगा। चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि कारोबारी जीएसटी में पंजीकृत होता है और छह महीने या सालभर में अपना पंजीयन वापस कर देता है या बाजार से कुछ हेराफेरी करके गायब हो जाता है। इसलिए नए पंजीकृत कारोबारियों की विश्वसनीयता को पहले परखा जाएगा।आइटीसी को लेकर नए प्रस्ताव के मुताबिक अगर कोई कारोबारी रिटर्न भरने में डिफॉल्टर घोषित हो जाता है या त्रैमासिक और मासिक रिटर्न भरने में लगातार देरी करता है तो उससे माल खरीदने वाले कारोबारी को भी इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगी। जीएसटीआर-3बी में टैक्स की राशि जीएसटीआर-1 की राशि के समान नहीं होने पर भी आइटीसी रोकी जा सकती है।