राष्ट्रीय

कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी, बिहार में 5 सीट जीतने के बाद

नई दिल्ली लगातार खराब प्रदर्शन और आंतरिक संकट से जूझ रही कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीट जीतने के बाद एआईएमआईएम ने जिस तरह दूसरे राज्यों में खुद को मजबूत करने की मुहिम तेज की है, उससे कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। इससे पार्टी का गणित बिगड़ सकता है।

कांग्रेस की मुश्किल यह है एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी उसी वोट पर फोकस कर रहे है, जो कांग्रेस को वोट करता रहा है। उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बाद ओवैसी गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान कर चुके हैं। गुजरात कांग्रेस के लिए बेहद अहम है और उसे बीटीपी का सहयोग मिलता रहा है। कई अहम चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया है। पर अब हालात बदल सकते हैं।

कांग्रेस को गुजरात से ज़्यादा राजस्थान को लेकर चिंता है क्योंकि, बीटीपी का असर राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ रहा है। राजस्थान में आदिवासी कांग्रेस एक परंपरागत वोट रहा है। पर पिछले चुनाव में बीटीपी ने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया था। बीटीपी ने दो सीट पर जीत भी दर्ज की थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पार्टी में हुई बगावत के दौरान बीटीपी ने कांग्रेस सरकार का समर्थन किया था।

ऐसे में बीटीपी और ओवैसी गठबंधन में चुनाव लड़ते है, तो आदिवासी क्षेत्रों के साथ मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भी कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकते हैं। इसके साथ बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष छोटुभाई वसावा मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ बढ़ा रहे हैं। मध्यप्रदेश में करीब 21 फीसदी आदिवासी आबादी है। विधानसभा में आदिवासियों के लिए 47 सीट आरक्षित है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बीटीपी का अभी कोई जनाधार नहीं है। पर गुजरात की तर्ज पर वसावा और ओवैसी अन्य छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं, तो चुनौतियां बढ़ जाएगी।

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button