कहा- मुझे बिना बताए भेजे गए नाम, अपॉइंटमेंट के बाद CJ नाराज…
लखनऊ. यूपी के नए लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट को लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ऐतराज जताया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि उन्हें बिना बताए सरकार ने लोकायुक्त के लिए 5 नामों की लिस्ट यूपी सरकार के वकील कपिल सिब्बल को सौंप दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी का नया लोकायुक्त अपॉइंट कर दिया। खबरों के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने इस मामले में गवर्नर को एक लेटर भेजा है। इसके बाद बुधवार शाम को सीएम अखिलेश यादव लखनऊ में चीफ जस्टिस के घर पहुंचे और उनसे मुलाकात की।
चीफ जस्टिस ने क्यों जताया ऐतराज?
सूत्रों के मुताबिक, चीफ जस्टिस इस बात से नाराज हैं कि वे सिलेक्शन कमिटी की मीटिंग में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज वीरेंद्र सिंह के नाम पर पहले ही ऐतराज जता चुके थे। सीएम ने भी उन्हें भरोसा दिलाया था कि वे लोकायुक्त के लिए रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम प्रपोज नहीं करेंगे। सूत्रों का दावा है कि सीएम ने मंगलवार की मीटिंग में जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम सुझाया था, लेकिन चीफ जस्टिस ने इसे नामंजूर कर दिया था।
गवर्नर ने क्या कहा?
गवर्नर राम नाईक ने इस वक्त कानपुर में हैं। जब उनसे चीफ जस्टिस के लेटर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कोई लेटर आया है। लखनऊ लौटकर देखेंगे कि उसमें क्या है। लोकायुक्त के बारे में उन्होंने कहा, “राज्य सरकार की निरंकुशता की वजह से सुप्रीम कोर्ट को अपॉइंटमेंट करना पड़ा। ये सुप्रीम कोर्ट का एक इशारा है और समझदारों के लिए इशारा काफी है।”
चीफ जस्टिस ने प्रपोज किए थे कौन से नाम?
सूत्रों की मानें, तो चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने लोकायुक्त के लिए जस्टिस एसयू खान (रिटायर्ड), जस्टिस देवेंद्र प्रताप सिंह (रिटायर्ड), जस्टिस अमर सरन (रिटायर्ड), जस्टिस श्रीकांथ त्रिपाठी (रिटायर्ड) और जस्टिस सुनील हाली (रिटायर्ड) का नाम प्रपोज किया था। हालांकि, वह रिटायर्ड जस्टिस एसयू खान के नाम पर भी सहमत नहीं थे।
कौन बने हैं नए लोकायुक्त?
> बुधवार को तय समय सीमा के अंदर लोकायुक्त के नाम पर कोई फैसला नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी का नया लोकायुक्त अपॉइंट कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह यूपी के नए लोकायुक्त बनाए गए हैं।
> सिलेक्शन कमिटी के मेंबरों के बीच कोई नाम फाइनल नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर मुहर लगाई।
> लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट का मामला एक साल से राज्य सरकार के पास लटका हुआ था।
> सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही राज्य में लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट में देरी पर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। राज्य सरकार को 16 दिसंबर तक लोकायुक्त की नियुक्ति करने को कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रामना की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा, “यूपी के सीएम और ओपोजिशन लीडर हाईकोर्ट के फैसले का पालन नहीं कर सके। ये काफी अफसोसजनक और आश्चर्यजनक है कि संवैधानिक कार्यप्रणाली हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर सकी।”
कपिल सिब्बल ने क्या कहा था?
बुधवार को कोर्ट में यूपी सरकार के वकील और कांग्रेस के सीनियर लीडर कपिल सिब्बल ने कहा, “सीएम अखिलेश और अपोजिशन लीडर के बीच तीन नामों पर सहमति बनी थी, जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इसपर अपनी राय नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार के वकील कपिल सिब्बल की इन दलीलों से भी सहमत नहीं हुई कि राज्य सरकार ने लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट को लेकर सीरियस स्टेप लिए थे।
दो दिन से हो रही थी मीटिंग
> सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद यूपी में लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट को लेकर बुधवार को हुई पहले दौर की मीटिंग बेनतीजा रही।
> इसके बाद दोपहर 12:30 बजे दोबारा से मीटिंग बुलाई गई थी।
> इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त के लिए 5 नामों की लिस्ट यूपी सरकार से मांगी। यूपी सरकार की ओर से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कोर्ट में मौजूद थे।
> सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- “हमें कानून का पालन कराना आता है। आप हमें 5 नामों की लिस्ट दीजिए। हम अपॉइंट करते हैं यूपी का नया लोकायुक्त।”
> इसके पहले मंगलवार को शाम 5 बजे सिलेक्शन कमिटी की मीटिंग शुरू हुई थी और ये देर रात 11 बजे तक चली थी।
> इस दौरान सीएम अखिलेश यादव, अपोजिशन लीडर स्वामी प्रसाद मौर्या और चीफ जस्टिस हाईकोर्ट डी. वाई. चंद्रचूड़ लोकायुक्त के नाम को लेकर चर्चा करते रहे।
> इस मीटिंग में लोकायुक्त के नाम पर कोई फैसला नहीं हो पाया।
सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर किया अपॉइंटमेंट?
> सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त का अपॉइंटमेंट कॉन्सटिट्यूशन के आर्टिकल 142 के मुताबिक किया है।
> इसके तहत अगर किसी राज्य में किसी खास मु्द्दे या अपॉइंटमेंट पर सिलेक्शन कमिटी के मेंबरों में एक राय नहीं बनती है, तो अपने स्पेशल राइट का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट उस मुद्दे पर फैसला कर सकती है।
> सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिया गया ऐसा कोई भी फैसला संसद में पास किसी कानून की तरह ही माना जाएगा।
डेडलाइन देते वक्त क्या था सुप्रीम कोर्ट का कमेंट?
> सुप्रीम कोर्ट ने ये ऑर्डर एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिया था।
> इसमें कोर्ट ने कहा- “24 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के अंदर यूपी में नए लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट का ऑर्डर दिया था। यूपी सरकार ने अब तक ये ऑर्डर फॉलो क्यों नहीं किया? यूपी के चीफ सेक्रेटरी कोर्ट में हाजिर होकर ये बताएं कि आखिर लोकायुक्त का अपॉइंटमेंट क्यों नहीं हुआ?”
विवादों में है लोकायुक्त चयन
> यूपी में लोकायुक्त अपॉइंटमेंट प्रॉसेस लंबे वक्त से विवादों में रहा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित वक्त के बावजूद नए लोकायुक्त का अपॉइंटमेंट नहीं हो पाया था।
> सरकार ने लोकायुक्त के लिए रिटायर्ड जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम को लेकर जबरदस्त पैरवी की, लेकिन हर बार गवर्नर हाउस से मामला उलझा रहा।
> इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम पर एतराज जताया था। गवर्नर ने एक-दो बार नहीं, बल्कि चार बार जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम की फाइल को लौटाया।
> इसके बाद बीते 27 अगस्त को असेंबली में सरकार ने लोकायुक्त चयन से जुड़े नियम में बदलाव का बिल पास करा लिया। संशोधन के जरिए सिलेक्शन कमिटी से चीफ जस्टिस को ही बाहर कर दिया गया।
जस्टिस वीरेंद्र सिंह का प्रोफाइल
> जस्टिस वीरेंद्र सिंह लोकायुक्त बनने से पहले यूपी उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष थे। उनका यहां कार्यकाल 3 जनवरी 2016 तक था।
> जस्टिस वीरेंद्र सिंह का जन्म 4 जनवरी 1949 को हुआ था।
> इलाहाबाद हाईकोर्ट में इनकी ज्वॉइनिंग 13 अप्रैल, 2009 को हुई थी।
> 13 अप्रैल, 2011 तक वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में रहे।
> जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने मेरठ यूनिवर्सिटी से 1972 में लॉ में ग्रैजुएशन किया।
> साल 1977 में पीसीएस (जे) में अपॉइंट हुए और 1989 में हायर ज्यूडिशियल सर्विस के लिए प्रमोट हुए।
> 2005 में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज के रूप में प्रमोट हुए।
> 13 अप्रैल 2009 में हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने।
> 24 दिसंबर 2010 को इन्होंने परमानेंट जज की शपथ ली थी।