main slideलाइफस्टाइलहेल्‍थ

कई बीमारियों को दावत सकता है दूध हैं इस रिसर्च ने किया अलर्ट !!

 “दूध हैं वंडरफुल. पी सकते हों रोज़ एक ग्लास फुल दूध.” दूध को लेकर बनाया गया यह विज्ञापन जितना चर्चित है उतना ही बच्चों की सेहत के लिए दूध पीना दुनिया भर में चर्चित है. अगर कोई लेक्टोज सहन नहीं कर पाता है तो उसे ज़रूर दूध से जुड़े उत्पाद लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, अन्यथा दूध को एक सेहतमंद और पूर्ण आहार के तौर पर लिया जाता है. लेकिन, हाल ही में प्रोसीडिंग ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि अगर किसी को मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एम एस ) हुआ है तो दूध और इससे जुड़े उत्पाद उनके लक्षणों को और गंभीर कर सकता है.

अब चुनाव में पीएम मोदी नौकरी और रोजगार की बात नहीं करते – राहुल गांधी

दूधएम एस रोगियों के बार-बार दूध या कॉटेज चीज या दही खाने के बाद दिक्कत होने की शिकायत मिलने पर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बॉन के इंस्टिट्यूट ऑफ एनोटॉमी के शोधार्थी ने दूध और एम एस के बीच संबंध तलाशने की प्रक्रिया शुरु की. इसके बाद शोधार्थियों ने चूहे में गाय के दूध से जुड़े विभिन्न प्रोटीन का इंजेक्शन लगाकर उसकी जांच की. वे यह पता करना चाहते थे कि क्या कोई ऐसा घटक है जो इस रोग के प्रति लगातार प्रतिक्रिया दे रहा है. इस तरह लगातार शोध के बाद शोधार्थियों ने पाया कि जब भी वे गाय के दूध से जुड़े घटक के साथ केसइन (गाय के दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन) को जानवरों को दे रहे,

चूहे में तंत्रिका संबंधी विकार विकसित होते नज़र आए. इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप में देखने पर पता चला कि तंत्रिका तंतुओ के चारों तरफ बनी इंसुलेंटिग परत में क्षति नजर आई. यह परत एक तरह से तंत्रिका तंतुओं के लिए ठीक वैसा ही काम करती है जैसा किसी बिजली के तार के चारों और लगाया गया प्लास्टिक का कवर, जो उसे शॉर्ट सर्किट होने से रोकता है.

कई तरह की होती हैं परेशानियां – मल्टीपल स्क्लेरोसिस में शरीर का इम्यून सिस्टम मायलिन के आवरण को नष्ट करने लगता है. जिसकी वजह से लकवा, नजर में परेशानी , चलने फिरने की दिक्कत जैसी परेशानियां होने लगती हैं. बीमारी के गंभीर होने पर मरीज को व्हील चेयर पर ही रहना होता है. जब शोधार्थियों ने केसइन से अलग अणुओं का जो मायलिन उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं, से तुलना की, तब उन्हें एक और प्रोटीन MAG की जानकारी मिली. यह किसी हद तक केसइन के समान ही था. इस तरह जो एंटीब़ॉडी के सइन के खिलाफ सक्रिय थी वह MAG के लिए भी वैसी ही प्रतिक्रिया दिखा रही थी. अध्ययन में पाया गया कि रक्त में पाई जाने वाली बी-कोशिका केसइन के प्रति मजबूती से प्रतिक्रिया व्यक्त करती है. इसे लेकर यह अनुमान लगाया गया कि मरीज के दूध पीने के दौरान किसी वक्त केसइन से एलर्जी विकसित हो जाती है, जिसकी वजह से शरीर केसइन एंटीबॉडी विकसित कर लेता है.

ताजे डेयरी के उत्पादों से मिलती है प्रतिक्रिया – इसके बाद जब भी मरीज ताजे डेयरी उत्पादों को खाता है तो उनका शरीर इसके प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है. इस तरह से वह मायलिन के आवरण को भी नष्ट कर देता है. फिलहाल यह पता चला है कि यह एमएस के मरीजों के गाय का दूध पीने या उसके उत्पादों को खाने से होता है. हालांकि, इससे यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता है कि दूध पीना एम एस को विकसित करने में ज़रूरी भूमिका निभाता है. अभी इससे यह पता चला है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों को गाय का दूध पीने के बाद परेशानी का सामना करना पड़ता है.

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button