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ऑटिज्म का शिकार हुए बच्चों !!

ऑटिज्म को मेडिकल लैंग्वेज में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर कहते हैं। यह एक विकास संबंधी डिसॉर्डर है, जिससे बच्चे को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं। ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिससे बच्चे का दिमाग अन्य लोगों के दिमाग की तुलना में अलग तरीके से काम करता है। यहां आपको यह बात समझने की जरूरत है कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक डिसऑर्डर है.ऑटिज्म में अलग-अलग बच्चों को अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कुछ कॉमन लक्षण ऐसे हैं, जो लगभग सभी ऑटिज्म का शिकार हुए बच्चों में दिखाई देते हैं। इन्हें शुरुआती लक्षण भी कहा जा सकता है।

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क्या आपका बच्चा 3-4 साल का होने के बाद भी बोलता नहीं है? या फिर उसके खाने-पीने की आदतों या उसकी कुछ चीजों को देखकर आपको लगता है कि बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से कुछ डिफरेंट बिहेव कर रहा है, तो आपको इसे नॉर्मल न समझकर इस पर ध्यान देने की जरूरत है। असल में कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों में छोटे बच्चों को इंटरेक्ट करने का कम मौका मिला है, जिसका असल उनके दिमाग और सोशल बिहेवियर पर पड़ा है। इसकी वजह से कई बच्चों की ग्रोथ पर भी इसका बहुत ज्यादा असर पड़ा था।

3-4 साल की उम्र होने पर भी नहीं बोलना

सबसे बड़ा लक्षण है कि 3 या 4 साल की उम्र होने पर भी बच्चा बोलना नहीं सीख पाता। कई बार बोलना सिखाने के बाद भी बच्चा एक या दो शब्दों से ज्यादा नहीं सीख पाता। बच्चा कई बार आपकी बातें तो समझ लेता है लेकिन फिर भी आपकी बातों का जवाब नहीं देता।

सिर पटकना, पलकें झपकाते रहना, कूदना जैसी एक्टिविटीज

3-4 साल की उम्र के बच्चे बिना वजह ऊपर लिखी एक्टिविटीज नहीं करते लेकिन ऑटिज्म में बच्चे बिना वजह पूरे दिन यही एक्टिविटीज करते हैं। कई बच्चे बहुत खुश होने या गुस्सा होने पर दांत पीसते हैं और कूदते-फांदते रहते हैं। वे बिना थके पूरे दिन तक या कई घंटोंं यही एक्टिविटीज रिपीट करते रहते हैं।

रात में नींद न आना

आमतौर पर बच्चे दिन में खेलकर देर रात 10 बजे तक सो जाते हैं लेकिन ऑटिज्म में बच्चा पूरे दिन उछल-कूद करके भी ज्यादा नहीं थकता। रात में नींद आने पर भी जल्दी नहीं सोता। ऐसे बच्चों का स्लीपिंग पैटर्न बहुत अलग होता है. कई बार तो बच्चा सुबह तक जगा रह जाता है।

नजर न मिलाना

आमतौर पर जब बच्चों से बात की जाती है, तो वे आपकी तरफ देखते हैं लेकिन ऑटिज्म में बच्चा आई कॉन्ट्रेक्ट करने से बचता है। आप अगर बार-बार उसका नाम भी लेते हैं या फिर उसकी तरफ देखकर भी कुछ कहते हैं, तो वह आपकी तरफ नहीं देखता। वह ज्यादातर नजरें मिलाने से बचता है और यहां-वहां देखता रहता है।

एक ही शब्द को बार-बार रिपीट करना

ऑटिज्म में बच्चा बोलता नहीं है लेकिन वह बार-बार एक ही शब्द या मुंह में बड़बड़ाता रहता है। कई बार तो उसकी बातें समझ भी नहीं आती है। बच्चा कई बार चिल्लाता है या फिर पूरे-पूरे दिन एक ही शब्द या बात बोलता रहता है।

खाने-पीने की कुछ चीजें ही पसंद करना

आमतौर पर बच्चे 3-4 साल की उम्र में खाने की हर चीज देखकर ललचाते हैं लेकिन ऑटिज्म में बच्चे कुछ चीजें ही खाना पसंद करते हैं। खासतौर पर खाने की जगह बच्चे किसी एक बिस्किट, नमकीन या फिर स्नैक्स आइटम खाना ही पसंद करते हैं। वह जबरदस्ती खिलाने पर भी ठीक से खाना नहीं खाते।

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