अंतराष्ट्रीय

ऐसा क्या हुआ कि बदल गए चीन के सुर?

बीजिंग: कदम-कदम पर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाला चीन अब संबंध सुधारने की बात कर रहा है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत और चीन के बीच बेहतर रिश्तों की उम्मीद जताते हुए कहा है कि दोनों देशों को आपसी समझ बनानी चाहिए और कोई गलत निर्णय नहीं लेना चाहिए. चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी के वर्चुअल विदाई समारोह में बोलते हुए वांग ने कहा कि हमें दूर की सोच रखनी चाहिए और अस्थायी चीजों को रिश्तों में रुकावट नहीं बनने देना चाहिए. बता दें कि भारत और चीन के संबंध पिछले साल जून से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं. दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख की सीमा पर आमने-सामने हैं.
‘हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए’
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने यहां तक कहा कि यदि हम विश्वास पैदा कर लें तो हिमालय भी भारत-चीन की दोस्ती को नहीं रोक सकता. लेकिन भरोसे की कमी होने पर एक साथ आने के लिए विस्तृत क्षेत्र भी पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और एक-दूसरे के लिए बाधा नहीं बनना चाहिए. इस दौरान, भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि पिछले साल कुछ चुनौतियो के चलते कई बड़े अवसर समाप्त हो गए, मगर उम्मीद है कि दोनों देश मुश्किलों को पार करते हुए संबंधों को सकारात्मक दिशा में ले जाएंगे.

पिछले साल गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के चलते भारत और चीन में तनाव काफी बढ़ गया था. इसके बाद से ही भारत और चीन के सैनिक अग्रिम मोर्चों पर तैनात हैं. हालांकि, हालात सामान्य करने के लिए सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है, लेकिन चीन की हरकतों के चलते मई 2020 वाली स्थिति बहाल नहीं हो पाई है. चीन बीच-बीच में उकसावे वाली कार्रवाई करता रहता है, जिसकी वजह से बनती बात बिगड़ जाती है.

चीन की कारगुजारियों की अब तक कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजिंग तिब्‍बत में एक विशाल हेलिपोर्ट बना रहा है, जहां 100 के करीब लड़ाकू और अन्‍य हेलिकॉप्‍टरों को छिपाकर रखा जा सकता है. सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन भारत से सटे इलाके में नए एयरबेस बना रहा है और पुराने एयरफील्‍ड को अपग्रेड कर रहा है. वैसे चीन के इस ‘दोस्ती राग’ के पीछे जानकार रूसी राष्ट्रपति के भारत दौरे को देख रहे हैं. उनका मानना है कि इस दौरे से चीन को यह स्पष्ट संदेश गया है कि रूस हर कीमत पर भारत के साथ है और जरूरत पड़ने पर उसकी मदद से पीछे नहीं हटेगा. इसलिए बीजिंग को अपना रुख बदलने में ही भलाई नजर आ रही है.

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