उत्तर प्रदेश

एसटीएफ को मिले साक्षों के आधार पर पीएफआई के मददगार जल्द होंगे सलाखों के पीछे

लखनऊ :सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद हाथरस कांड को लेकर जातीय दंगे भड़काने की साजिश में नाम आने के बाद पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां खासी सतर्क हैं। कमांडर के तौर पर काम कर रहे पीएफआई के कुछ एजेंटों की गिरफ्तारी के बाद अब उससे मददगारों को चिह्नित किया जा रहा है। ये एजेंसियां इन मददगारों पर भी जल्द ही शिकंजा कसने की तैयारी में हैं।

हाथरस कांड के बाद जातीय दंगे भड़काने की साजिश की जांच कर रही यूपी एसटीएफ को प्रदेश के अन्य जिलों खासकर नेपाल सीमा से सटे जिलों में पीएफआई की सक्रियता की जानकारी मिली थी। खुफिया इनपुट के आधार पर ही एसटीएफ ने पिछले दिनों सिद्धार्थनगर के रहने वाले मो. राशिद को बस्ती से गिरफ्तार किया था। राशिद पीएफआई के कमांडर के तौर पर काम कर रहा था और एक वर्ग के युवाओं को गुमराह करके उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी देता था। पूछताछ में यह जानकारी भी सामने आई कि राशिद ने कई जिलों के युवाओं को ट्रेनिंग दी है। इनमें से ज्यादातर युवा सीमावर्ती जिलों के रहने वाले हैं। राशिद के कब्जे से मिले दस्तावेजों में ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं का ब्योरा भी मिला था, जिसके आधार पर संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।

एसटीएफ के सामने राशिद ने स्वीकार भी किया था कि वह अपनी विचारधारा फैलाने के लिए वर्ग विशेष के शारीरिक रूप से मजबूत नवयुवकों का ‘ब्रेनवाश’ कर उनको विभिन्न हथियारों का प्रशिक्षण देता है। वह इन युवकों को घटना विशेष को अंजाम देने के लिए तैयार करता है। इससे पहले एसटीएफ ने पीएफआई के एक अन्य कमांडर अंसद बदरुद्दीन और ट्रेनर फिरोज खान को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। अंसद बदरुद्दीन का भी वही ‘टारगेट’ था, जो राशिद का था। एटीएस के एक अधिकारी ने कहा कि नेपाल सीमा से सटे जिलों में पीएफआई के नेटवर्क पर खास नजर रखी जा रही है।

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