एक राज महल ऐसा जहाँ बसती है आत्माये ,आशिक लिखते है टूटे दिल की दास्ताये .
टिहरी : उत्तराखंड के टिहरी में राजा प्रताप शाह ने प्रतापनगर की सुंदरता को देखते हुए प्रतापनगर में ऐतिहासिक राजमहल का निर्माण कराया, जहां ग्रीष्मकाल में उनका राजदरबार चला करता था और इसके ठीक सामने रानी का महल भी बनाया गया.
आज हम आपको उत्तराखंड के टिहरी के एक ऐसे राजमहल के बारे में बताने जा रहे है जिसे शापित राजमहल कहा जाता है. राजशाही खत्म होने के बाद प्रताप शाह के इस ऐतिहासिक राजमहल में अब सिर्फ आत्माएं भटकती है और आशिक अपने टूटे हुए दिल का दर्द इसकी दीवारों पर लिखते है…
उत्तराधिकारियों प्रताप शाह ने प्रतापनगर, कीर्तिशाह ने कीर्तिनगर और नरेन्द्रशाह ने नरेन्द्रनगर को अपनी राजधानी बनाया और 1815 से 1949 तक शासन किया. राजा प्रताप शाह ने प्रतापनगर की सुंदरता को देखते हुए प्रतापनगर में ऐतिहासिक राजमहल का निर्माण कराया, जहां ग्रीष्मकाल में उनका राजदरबार चला करता था और इसके ठीक सामने रानी का महल भी बनाया गया.
स्थानीय निवासी मनीष राणा ने बताया कि 1949 में राजशाही का अंत होने के बाद इस ये राजमहल वीरान पड़ गया और खंडहर में तब्दील हो गया. उस समय के इस ऐतिहासिक राजमहल में जाने से आज डर लगता है और आत्माओं के होने आभास होता है. वहीं इसकी दीवारों पर आपकों आशिकों के टूटे हुए दिल का दर्द साफ दिखाई देता है.
प्रतापनगर ब्लाक प्रमुख प्रदीप रमोला ने बताया कि प्रताप शाह के इस ऐतिसाहिक राजमहल अब आवारा पशुओं का भी ठीकाना बन गया है. आवारा पशु दिन भर राजमहल के आसपास चरते है और गोबर और विश्राम करने इसी रामहल में आते है. जहां राजशाही के समय यहां राजदरबार लगता था वहीं आज ये भूत प्रेत आत्माओं का बसेरा माना जाता है और दिन में जाने में भी यहां डर लगता है. इस ऐतिहासिक धरोहर को अब पर्यटन की दृष्टि से डेवलेप किए जाने की योजना चल रही है जिससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा.
जहां राजशाही के समय राजा प्रताप शाह का ये राजमहल प्रतापनगर की पहचान हुआ करता था. वहीं आज ये भूत प्रेत आत्माओं का ठीकाना माना जाता है. जहां दिन के उजाले में भी जाने से लोग डरते है ऐसे में इस ऐतिहासिक धरोहर को टिहरी झील पर्यटन सर्किट से जोड़ने से इसे एक नई पहचान मिलेगी.