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एक नेता का नाम चर्चा में BCCI चीफ नहीं रहेंगे मनोहर, उन्हें रिप्लेस करने के लिए
मुंबई.शशांक मनोहर जल्द ही BCCI प्रेसिडेंट की पोस्ट छोड़ सकते हैं। इसके पीछे दो तरह की वजहें सामने आ रही हैं। पहली- ICC मई में सीक्रेट वोटिंग करने वाला है ताकि नया इंडिपेंडेंट चेयरमैन चुना जा सके। इस दौड़ में मनोहर सबसे आगे हैं। दूसरी- बीसीसीआई पर जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट पर अमल करने का दबाव है। खुद मनोहर एक साथ दो पोजिशन पर नहीं रह पाएंगे। मनोहर हटते हैं तो बीसीसीआई 16 महीने में तीसरा प्रेसिडेंट चुनेगा। मनोहर हटे तो कौन नेता कर सकता है रिप्लेस…
– मनोहर के बीसीसीआई छोड़ने की स्थिति में उन्हें एनसीपी चीफ शरद पवार रिप्लेस कर सकते हैं।
– पवार मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं।
– वे एक बार 2005 से 2008 के बीच बीसीसीआई चीफ रह चुके हैं।
– फिर वे 2010 से 2012 तक आईसीसी प्रेसिडेंट भी रहे हैं।
– जगमोहन डालमिया के बीसीसीआई प्रेसिडेंट चुने जाने और उनके निधन के बाद भी शरद पवार का नाम चर्चा में रहा था।
– पवार मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं।
– वे एक बार 2005 से 2008 के बीच बीसीसीआई चीफ रह चुके हैं।
– फिर वे 2010 से 2012 तक आईसीसी प्रेसिडेंट भी रहे हैं।
– जगमोहन डालमिया के बीसीसीआई प्रेसिडेंट चुने जाने और उनके निधन के बाद भी शरद पवार का नाम चर्चा में रहा था।
मनोहर कब बने थे बीसीसीआई चीफ
– मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले मनोहर पहले भी 2008 से 2011 तक बीसीसीआई प्रेसिडेंट रह चुके थे।
– लॉयर और अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर कहे जाने वाले मनोहर को अक्टूबर 2015 में जगमोहन डालमिया के निधन के बाद बीसीसीआई प्रेसिडेंट बनाया गया था। महज आधे घंटे की मीटिंग में वे बिना किसी विरोध के प्रेसिडेंट चुन लिए गए थे।
– पिछले कुछ महीनों से बीसीसीआई में आ रहे बड़े बदलावों और रिफॉर्म्स की कोशिशों का क्रेडिट मनोहर काे ही जाता है।
– हाल ही में बीसीसीआई ने डिस्कवरी चैनल में रहे राहुल जौहरी को सीईओ बनाया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब बीसीसीआई ने किसी आउटसाइडर को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी हो।
– लॉयर और अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर कहे जाने वाले मनोहर को अक्टूबर 2015 में जगमोहन डालमिया के निधन के बाद बीसीसीआई प्रेसिडेंट बनाया गया था। महज आधे घंटे की मीटिंग में वे बिना किसी विरोध के प्रेसिडेंट चुन लिए गए थे।
– पिछले कुछ महीनों से बीसीसीआई में आ रहे बड़े बदलावों और रिफॉर्म्स की कोशिशों का क्रेडिट मनोहर काे ही जाता है।
– हाल ही में बीसीसीआई ने डिस्कवरी चैनल में रहे राहुल जौहरी को सीईओ बनाया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब बीसीसीआई ने किसी आउटसाइडर को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी हो।
श्रीनिवासन का विरोध कर चुके हैं मनोहर
– 2015-16 की बीसीसीआई की एनुअल जनरल मीटिंग में मनोहर ने चेन्नई के इंडस्ट्रियलिस्ट एन श्रीनिवासन के खिलाफ कैम्पेन चलाया था।
– श्रीनिवासन तब बीसीसीआई और आईसीसी, दोनों के चीफ थे और स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल की कॉन्ट्रोवर्सी जोरों पर थी।
– बीसीसीआई का प्रेसिडेंट बनने के बाद मनोहर ने बोर्ड की इमेज सुधारने की जिम्मेदारी ली।
– उन्होंने कहा था कि उनका टर्म दो साल का है लेकिन वे जो बदलाव चाहते हैं, वे दो महीने में हो जाएंगे।
– श्रीनिवासन तब बीसीसीआई और आईसीसी, दोनों के चीफ थे और स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल की कॉन्ट्रोवर्सी जोरों पर थी।
– बीसीसीआई का प्रेसिडेंट बनने के बाद मनोहर ने बोर्ड की इमेज सुधारने की जिम्मेदारी ली।
– उन्होंने कहा था कि उनका टर्म दो साल का है लेकिन वे जो बदलाव चाहते हैं, वे दो महीने में हो जाएंगे।
मनोहर के अपने बनाए नियम के चलते उन्हें जाना होगा
– अगर मनोहर आईसीसी के मई में होने वाले इलेक्शन में कैंडिडेट बनते हैं तो उन्हें बीसीसीआई छोड़ना होगा।
– ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बीसीसीआई चीफ बनने के बाद ही यह नियम बनाया गया था कि कोई भी शख्स एक ही वक्त पर बीसीसीआई और आईसीसी, दोनों का चीफ नहीं रहेगा।
– मनोहर ने खुद नवंबर 2015 में आईसीसी में एन श्रीनिवासन को बतौर चेयरमैन रिप्लेस किया था।
– ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बीसीसीआई चीफ बनने के बाद ही यह नियम बनाया गया था कि कोई भी शख्स एक ही वक्त पर बीसीसीआई और आईसीसी, दोनों का चीफ नहीं रहेगा।
– मनोहर ने खुद नवंबर 2015 में आईसीसी में एन श्रीनिवासन को बतौर चेयरमैन रिप्लेस किया था।
बीसीसीआई पर क्या है दबाव?
– बीसीसीआई पर आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद सुप्रीम काेर्ट की ओर से अप्वाइंट हुई जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने का दबाव है।
– अभी सिफारिशों के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
– कई ऑफिस होल्डर्स को लग रहा है कि कमेटी की सिफारिशों से उनका दबदबा खत्म होगा।
– ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बीसीसीआई में वन स्टेट-वन वोट की पॉलिसी होगी।
– यानी महाराष्ट्र-गुजरात में भले ही तीन-तीन क्रिकेट एसोसिएशंस हों, बीसीसीआई के इलेक्शंस में उनका एक ही वोट काउंट होगा।
– कई क्रिकेट एसोसिएशंस इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दे रहे हैं।
– अभी सिफारिशों के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
– कई ऑफिस होल्डर्स को लग रहा है कि कमेटी की सिफारिशों से उनका दबदबा खत्म होगा।
– ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बीसीसीआई में वन स्टेट-वन वोट की पॉलिसी होगी।
– यानी महाराष्ट्र-गुजरात में भले ही तीन-तीन क्रिकेट एसोसिएशंस हों, बीसीसीआई के इलेक्शंस में उनका एक ही वोट काउंट होगा।
– कई क्रिकेट एसोसिएशंस इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दे रहे हैं।