ऊर्जा और बुद्धि का होगा विकास इस दिन जरूर करें घी का सेवन

जब सूर्यदेव कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तो यह सिंह संक्रांति कहलाती है। सूर्यदेव जब राशि बदलते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। संक्रांति पर इच्छा अनुसार दान-पुण्य करने की परंपरा है। सिंह संक्रांति में घी के सेवन का विशेष महत्व है। इस दिन घी का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है। सिंह संक्रांति को घी संक्रांति भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो गाय का घी नहीं खाता है उसे अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इस दिन ऊं नमो सूर्याय नम: का जाप करते रहें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। दक्षिणी भारत में इस संक्रांति को सिंह संक्रमण भी कहा जाता है।
सिंह संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, सूर्यदेव और भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है। सिंह संक्रांति के दिन विधिवत पूजा-पाठ करें। सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन करने से ऊर्जा, तेज और यादाश्त और बुद्धि में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन न करने वाले अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेते हैं। यहां पर घोंघा आलस्य का प्रतीक है, जिसकी गति बेहद धीमी होती है। यही कारण है कि इस दिन घी का सेवन फायदेमंद बताया गया है। घी के सेवन से राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है। यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ पर्व है। बरसात के मौसम में किसान अच्छी फसलों की कामना करते हुए ख़ुशी मनाते हैं। बरसात में पशुओं को खूब हरी घास मिलती है। दूध में बढ़ोतरी होने से दही-मक्खन-घी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है। अतः इस दिन घी का प्रयोग अवश्य किया जाता है। इस दिन नवजात बच्चों के सिर और पांव के तलुवों में भी घी लगाया जाता है। उसकी जीभ में थोड़ा सा घी रखा जाता है। इस दिन सूर्य पूजा के साथ सामर्थ्य अनुसार दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।