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ऊपर बैठे लोग नहीं चाहते कि भारत-पाक के बीच दोस्ती हो- गुलाम अली ने कहा
वाराणसी. हिंदू संगठनों के विरोध के बीच गुलाम अली संकट मोचन मंदिर में ऑर्गनाइज संगीत समारोह में भाग लेने सोमवार को काशी पहुंचेे। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर बोलते हुए कहा कि दोनों देशों की बड़ी ताकतें नहीं चाहती कि मुल्क के बीच प्यार बढ़े। उन्होंने कि कहा कि संगीत का न कोई सरहद है और न मजहब है, इसके जरिए ही मिठास घोली जा सकती है।आतंकी घटनाओं से कलाकार का नहीं लेना-देना…
– दोनों देशों के बीच आतंकवादी घटनाओं से कलाकार का कोई लेना देना नहीं है।
– मैंं लाहौर में गाता हूं तो अमेरिका भी सुनता है।
– शिवसेना के लोगों को तहे दिल से दुआ देता हूं कि ये लोग अच्छा सोचें।
– शिवसेना के लोगों को तहे दिल से दुआ देता हूं कि ये लोग अच्छा सोचें।
– नफरत से नहीं, बल्कि प्यार से नजदीक आना चाहिए।
– वो मेरा विरोध करते हैंं, लेकिन फिर भी मैंं उनके लिए दुआ करता हूं।
– वो मेरा विरोध करते हैंं, लेकिन फिर भी मैंं उनके लिए दुआ करता हूं।
विरोध कर रहे हैंं कई हिंदू संगठन
– बता दें कि शिवसेना सहित कई हिंदू संगठन गुलाम अली के प्रोग्राम का लगातार विरोध कर रहे हैंं।
– हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू जाग्रति मंच ने डीएम राजमणि यादव को मेमोरेंडम दिया।
– हिंदू संगठनों के मुताबिक, गुलाम अली को काशी में आने से रोका जाए, क्योंकि उनके यहां आने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
– इससे पहले शिवसेना गुलाम अली के विरोध में शहर में कई जगह पोस्टर लगा चुकी है।
क्योंं हो रहा विरोध?
– लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं का धर्मांतरण और लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं बढ़ी हैं।
– वहीं, संकट मोचन मंदिर में आतंकी हमले में कई लोगों की जान जा चुकी हैं। पाकिस्तान बॉर्डर पर लगातार घुसपैठ कर रहा है। पठानकोट में आतंकी हमला हुआ। ऐसे में गुलाम अली और पाकिस्तान हाईकमिश्नर अब्दुल बासित को मंदिर में घुसने की परमिशन पर तुरंत रोक लगाई जाए।
क्या कहते हैं डीएम?
– डीएम राजमणि यादव के मुताबिक, हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू जाग्रति मंच के लोगों ने मेमोरेंडम दिया गया है।
– ‘गुलाम अली और अब्दुल बासित के संकट मोचन मंदिर में रोक के सिलसिले में एडीएम सिटी को कहा गया है।’
– ‘अफसर मामले को देख रहे हैं। फिलहाल अभी रोक जैसी कोई बात नहीं है।’
क्या कहते हैं हिंदू युवा वाहिनी का?
– हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश वाइस प्रेसिडेंट मनीष पांडेय के मुताबिक, ‘महंत विशंभरनाथ मिश्र ने कैसे दोनों पाकिस्तानियों को इन्विटेशन दिया है?’
– ‘क्या गुलाम अली और अब्दुल बासित हनुमान के दर्शन और पूजा पाठ करेंगे?’
– ‘सीमा पर देश के नाम पर जो जवान शहीद हुए हैं, उनक कौन हिसाब देगा?’
– ‘भारत में दूसरे बहुत मुस्लिम कलाकार हैं, उन्हें क्यों नहीं बुला लिया गया। मंदिर को अपवित्र न किया जाए।’
– मंडल प्रभारी अमरीश भोला ने कहा, ‘गुलाम अली शराब और शबाब पर बने गीत गाते हैं। उन्होंने भजन गाकर कभी किसी को नहीं सुनाया है। हनुमान चालीसा पहले बनारस के बाहर पढ़ें, फिर काशी आने की सोचें।’