ई-सिगरेट पर रोक; 11.5 लाख रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस

- रेलवे कर्मचारियों के बोनस पर 2000 करोड़ रु. खर्च होंगे, बीते 6 साल से कर्मचारियों को बोनस दिया जा रहा है
- पहली बार ई-सिगरेट से जुड़ा नियम तोड़ने वालों को 1 साल जेल और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया
नई दिल्ली. कैबिनेट की बैठक में बुधवार को अहम फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि 11 लाख 52 हजार रेलवे कर्मचारियों को इस साल 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस दिया जाएगा।इस पर 2,000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कैबिनेट ने ई-सिगरेट पर बैन लगाने की मंजूरी दे दी है।
सीतारमण ने बताया कि ई-सिगरेट के उत्पादन, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर भी रोक लागू होगी। इससे पहले रेलवे कर्मचारियों के बोनस पर जावड़ेकर ने कहा कि यह फैसला कर्मचारियों की उत्पादकता और मनोबल को ध्यान में रखते हुए लिया गया। पिछले 6 साल से रेलवे कर्मचारियों को बोनस दिया जा रहा है।
ई-सिगरेट का इस्तेमाल स्टाइल स्टेटमेंट बनता जा रहा: सीतारमण
सीतारमण ने बताया कि रिपोर्ट्स के मुताबिक ई-सिगरेट के 400 ब्रांड और 150 फ्लेवर हैं। इनमें से कोई भी भारत में नहीं बनता। सरकार का कहना है कि युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेट की लत के खतरे से बचाने के लिए सही समय पर यह फैसला लिया है। भारत में ई-सिगरेट की बिक्री अभी काफी कम है लेकिन, धीरे-धीरे इसकी लत बढ़ रही है। इसका इस्तेमाल करना स्टाइल स्टेटमेंट बनता जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सजा के प्रावधान का प्रस्ताव रखा
ई-सिगरेट पर बैन के अध्यादेश के ड्राफ्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा कि पहली बार नियम तोड़ने वालों को 1 साल तक की जेल हो और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो। अगली बार उल्लंघन करने पर 3 साल तक की जेल या 5 लाख रुपए जुर्माना या फिर दोनों सजाओं का प्रस्ताव भी रखा गया।
ई-सिगरेट क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक बैटरी डिवाइस होती है। इसके जरिए फ्लेवर्ड लिक्विड सॉल्यूशन को सांस के साथ खींचा जाता है। इससे सिगरेट पीने जैसा अहसास होता है। ई-सिगरेट से फेंफड़ों की बीमारियां बढ़ने की वजह से न्यूयॉर्क में मंगलवार को ही इसे बैन किया गया है।