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इस राज्य में बढ़ा कंडोम का इस्तेमाल

नोएडा. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण के ताजा आंकड़े आ गए हैं. NFHS की ताजा रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को लेकर भी कई सकारात्मक तथ्य सामने आए हैं. यूपी की साक्षरता, लैंगिक अनुपात, बच्चों के स्कूल जाने से जुड़े आंकड़े या स्वास्थ्य संबंधी तथ्य प्रदेश की प्रगति को दिखाने वाले हैं. वहीं, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किए जाने वाले उपायों के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पुरुष बंध्याकरण का डेटा आज भी कमजोर है. सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो यूपी के पुरुष आज भी नसबंदी कराने से हिचकते हैं. पुरुषों की ‘मर्दानगी’ बचाने की यही सोच महिलाओं को परेशान करती है. हालांकि परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने के कुल आंकड़ों में कमी आई है, लेकिन गांवों में इसके प्रति रुझान में वृद्धि हुई है.

NFHS की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 के मुकाबले यूपी में परिवार नियोजन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है. 5 साल पहले के सर्वेक्षण में जहां उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन का कोई भी तरीका इस्तेमाल कराने वालों की संख्या 45.5% थी, वहीं 2020-12 में यह बढ़कर 62.4% हो गई है. नियोजन के लिए आधुनिक तरीका इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. 5 साल पहले 31.7 फीसदी के मुकाबले इस बार के सर्वे में पता चला है कि 44.5 प्रतिशत लोग परिवार नियोजन के लिए आधुनिक तरीके अपना रहे हैं. परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने के आंकड़ों पर गौर करें तो आज भी प्रदेश में पुरुष काफी पीछे हैं. नसबंदी कराने में महिलाएं आगे हैं.

परिवार में कम बच्चे हों, इसके लिए महिलाएं ज्यादा सोचती हैं. हालांकि 2015-16 के मुकाबले महिलाओं की नसबंदी के आंकड़ों में एक फीसदी की कमी आई है, लेकिन पुरुष अब भी ‘लकीर के फकीर’ बने हुए हैं. NFHS की रिपोर्ट पर गौर करें तो 5 साल पहले महिलाओं की नसबंदी का आंकड़ा जहां 17.3 फीसदी था, वहीं यह अब 16.9 फीसद रह गया है. इनमें भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं नसबंदी कराने में शहरी औरतों से आगे हैं. शहरों में 13.5 और गांवों में 18 फीसदी महिलाएं नसबंदी करा रही हैं. पुरुषों के आंकड़े पर गौर करें तो यह चिंतित करने वाला है. पुरुष नसबंदी के आंकड़ों में पिछले 5 साल के दौरान कोई बदलाव नहीं आया है, यह तब भी 0.1 प्रतिशत था, अब भी इसी दर्जे पर बना हुआ है

15 साल से 49 वर्ष की आयु वाले वर्ग में यूपी की 66.1 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं, जबकि पुरुषों में यह 82 फीसद है. ग्रामीण क्षेत्र में 62.4% महिलाएं और 81.2% पुरुष साक्षर हैं. वहीं शहरों में 77.2% महिलाएं और 84.1% पुरुष साक्षर श्रेणी में हैं.
यूपी में इंटरनेट का इस्तेमाल करने के आंकड़ों पर गौर करें तो 15 से 49 साल के आयुवर्ग में 30.6 फीसदी महिलाएं और 59.1 फीसदी पुरुषों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है. ग्रामीण क्षेत्र की 24.5% और शहरों में रहने वाली 50.2% महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं. इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में 54.2% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 72.4% का है.
फैमिली हेल्थ सर्वे-2021 में यूपी में संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. 2015-16 में जहां संस्थागत प्रसव यानी अस्पतालों में बच्चे को जन्म देने का आंकड़ा 67.8 प्रतिशत का था, वहीं 2020-21 में यह 83.4 फीसदी पर पहुंच गया है.
नवजात बच्चों के टीकाकरण अभियान में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. पांच साल पहले जहां यूपी में 12 से 23 महीनों के बीच के 51.1 फीसदी नवजात बच्चों का टीकाकरण हो पाता था, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 69.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
यूपी में लैंगिक हिंसा के मामलों में भी कमी आई है. 2015-16 में 18-49 साल की विवाहित महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा का आंकड़ा जहां 36.7 प्रतिशत था, वहीं इस बार के सर्वे में इसमें कमी हुई है. 2020-21 के सर्वे में पता चला है कि अब भी यह आंकड़ा 34.8 फीसद रह गया है.
यूपी में तंबाकू या इससे जुड़े उत्पादों के सेवन को लेकर भी चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. एनएफएचएस की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल से ऊपर की 8.4 फीसदी महिलाएं तंबाकू या इससे जुड़े उत्पादों का इस्तेमाल करती हैं. वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 44.1 प्रतिशत का है.
शराब का सेवन करने में महिलाओं की हिचक अब भी बरकरार है. यूपी में 15 साल से ऊपर 0.3 फीसदी महिलाओं में ही शराब का सेवन करने का प्रमाण मिला है, वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 14.6 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों में जहां 15.1 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं, वहीं शहरों में यह आंकड़ा 13.2 प्रतिशत का है.
खाने में आयोडीन नमक का इस्तेमाल करने के आंकड़ों पर गौर करें तो NFHS-21 की रिपोर्ट में पाया गया है कि 92.3 प्रतिशत घरों में आयोडीन नमक का इस्तेमाल किया जाता है. 2015-16 में यह आंकड़ा 93.7 फीसदी था.
यूपी के घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल संबंधी आंकड़े पर गौर करें तो 201-16 के मुकाबले इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है. 2015-16 में किए गए सर्वे में यह आंकड़ा जहां 32.7 फीसद था, वहीं इस बार यह बढ़कर 49.5 फीसदी हो गया है. ग्रामीण इलाकों में 36.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 88.3 फीसदी घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है.
लैंगिक अनुपात के आंकड़ों में भी NFHS-21 की रिपोर्ट अच्छा परिणाम दिखा रही है. 2015-16 में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या जहां 995 थी, वह अब बढ़कर 1017 तक पहुंच गई है.

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