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इस बार 26 जनवरी पर परंपराओं में बदलाव, क्या होगा खास?

नई दिल्ली: आज देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. दिल्ली में समारोह को लेकर तैयारियां पूरी हैं. इस बार गणतंत्र दिवस के जश्न में कुछ नवाचार और बदलाव भी हुए हैं. इस बार की परेड और देश के गणतंत्र की गौरव गाथा पहले से अलग होने के साथ साथ और भी शानदार दिखाई देगी.

गणतंत्र दिवस के जश्न के दौरान राजपथ पर विराट भारत की झलक दिखेगी. नए भारत की सैन्य ताकत से लैस इस समारोह में सांस्कृतिक विविधताओं की झलक देखने को मिलेगी.

इस साल कोहरे के मद्देनजर परेड और फ्लाईपास्ट प्रदर्शन राजपथ पर आधा घंटा देर से यानी सुबह 10:30 बजे शुरू होगा. हर साल ये कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होता था. इसी तरह कोरोना महामारी के कारण पिछली बार की तरह इस साल 2022 में भी कोई विदेशी मुख्य अतिथि नहीं आमंत्रित किया गया है.
इस आयोजन में पहली बार भारतीय वायु सेना के 75 विमानों का भव्य फ्लाई-पास्ट किया जाएगा, वहीं प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिए चयनित 480 प्रतियोगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे. समारोह स्थल पर दूर बैठे लोगों को कार्यक्रम दिखाने के लिए हर 75 मीटर की दूरी पर 10 बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं.

राजपथ पर दिखेंगी 25 झांकियां: 12 राज्य, 9 केंद्रीय मंत्रालयों, 2 DRDO, वायुसेना और नौसेना की एक-एक झांकी शामिल.
परेड के दौरान CRPF, SSB के जवान दिखाएंगे अपना शौर्य, दिल्ली पुलिस, NCC का दस्ता भी होगा मार्च में शामिल होगी.
गणतंत्र दिवस के मौके पर भव्य फ्लाईपास्ट वायुसेना, नौसेना और थलसेना के 75 विमान लेंगे हिस्सा.
आजादी के 75 वें साल में आयोजित गणतंत्र दिवस में 17 जगुआर लड़ाकू लेंगे हिस्सा. राजपथ के ठीक ऊपर बनाएंगे ’75’ की आकृति.

परेड में सिर्फ वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके वयस्कों, वहीं एक डोज लगवा चुके 15 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को ही प्रवेश दिया जाएगा. कोरोना की वजह से दर्शकों की संख्या सीमित करते हुए 5 से 8 हजार दर्शकों को ही शामिल होने की इजाजत इस बार दी गई है. जबकि पिछले साल 25 हजार लोगों ने परेड देखी थी.

इस बार परेड रूट को भी छोटा किया गया है. पहले रूट 8.3 Km होता था उसे घटाकर 3.3 Km किया गया है. 5 Km का रूट कम होने के बावजूद झांकियां लाल किले पर जाकर ही खत्म होंगी.

खास बात यह है कि इस बार के इस राष्ट्रीय समारोह में समाज के उन तबकों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जिन्हें आमतौर पर परेड देखने को नहीं मिलती है. ऑटो-रिक्शा चालकों, श्रमिकों, सफाई कर्मचारियों और फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स के कुछ वर्गों को गणतंत्र दिवस परेड के साथ-साथ ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह देखने के लिए आमंत्रित किया गया है.

सन 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में इस्तेमाल किए गए हथियारों और उपकरणों को दिखाया जाएगा. इसी तरह पुराने बख्तरबंद वाहन और तोपखाने समेत पिछले दशकों में भारतीय सेना के लड़े गए युद्धों का प्रतीक होंगे. पुराने उपकरणों, हथियारों और तकनीक की जगह लेने वाली नई चीजों का प्रदर्शन भी किया जाएगा.

यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बार की परेड यानी गणतंत्र के जश्न और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा शुरू किए गए आजादी के अमृत महोत्सव का अनूठा संगम होगा.

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