इजराइल क्यों कर रहा है रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता (मध्यस्थता )?

तेल अवीव: इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट नेमास्को की अचानक यात्रा कर रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ (मध्यस्थता )की भूमिका निभाने की कोशिश की. साल भर से भी कम समय से इजराइल की कमान संभाल रहे बेनेट विश्व मंच पर बहुत हद तक परखे नहीं गये है. उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच इजराइल को एक असहज स्थिति में डाल दिया है और कूटनीतिक कोशिशों की भूमिका निभाने की संभावना बना रहे हैं.
सीरिया में सुरक्षा समन्वय के लिए इजराइल क्रेमलिन के साथ संबंधों पर निर्भर है. वहीं, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तेहरान के साथ मास्को वार्ता की मेज पर बैठा हुआ है. ऐसे में इजराइल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को नाराज नहीं कर सकता.
बेनेट ने कथित तौर पर यूक्रेन के नागरिकों को अपना समर्थन व्यक्त किया है और उन्होंने रूस के आक्रमण की निंदा करना बंद कर दिया है. रूस पर पश्चिम देशों के प्रतिबंध बढ़ने के बावजूद बेनेट ने पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति से संपर्क बनाये रखा है.
तेल अवीव विश्वविद्यालय में यूरोपीय मामलों के विशेषज्ञ एस्थर लोपातिन ने कहा, ‘‘बेनेट ने खुद को नये रूप में ढाला है.’’ इजराइल उन कुछ देशों में शामिल है जिसका रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के साथ कामकाजी संबंध है.
अपनी यात्रा से लौटने के कुछ घंटे बाद, बेनेट ने अपने मंत्रिमंडल से कहा कि यह इजरायल का नैतिक कर्तव्य है कि वह कदम उठाए, ‘भले ही मौका बहुत अच्छा न हो.’ इसके साथ, एक देश जो परंपरागत रूप से फिलस्तीनियों और अरब देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का लाभार्थी रहा है, वह मध्यस्थ बनने की ओर बढ़ रहा था.
इज़राइल की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक पूर्व अधिकारी और देश की राष्ट्रीय पहचान के बारे में एक पुस्तक “फ्लुइड रूस” के लेखक वेरा मिचलिन-शापीर ने कहा,‘‘ऐसा लग रहा है कि एक मौका है क्योंकि कोई भी पुतिन से बात नहीं कर रहा है. इज़राइल एक ऐसा खिलाड़ी है जो दोनों पक्षों से बात कर सकता है. लेकिन आगे क्या होता है?’