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इकलौता राज्य आंध्र ने ऑक्सीजन से मौत की बात कबूला

अमरावती. आंध्र प्रदेश ने बुधवार को केंद्र को बताया कि कम ऑक्सीजन दबाव के कारण कोविड -19 के इलाज के दौरान वेंटिलेटर सपोर्ट पर कुछ मरीजों की मौत हो गई. ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी राज्य ने O2 की कमी के कारण मौत को स्वीकार किया है. केंद्र ने हाल ही में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के संबंध में हुई मौतों के आंकड़े मांगे थे.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा, ‘जब संसद में यह प्रश्न उठाया गया तब राज्यों से स्पष्ट तौर पर यह प्रश्न पूछा गया और अब तक प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक केवल एक राज्य ने संदिग्ध मौत की जिक्र किया है तथा किसी भी अन्य राज्य ने अब तक नहीं कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई हैं.’ सूत्रों के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, असम, ओडिशा, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, झारखंड , हिमाचल प्रदेश और पंजाब समेत 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने जवाब दिया है.
उन्होंने बताया कि केवल पंजाब ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी के चलते चार ‘संदिग्ध’ मौतें हुईं. पिछले महीने विपक्षी दलों ने संसद में यह बताने को लेकर सरकार को निशाने पर लिया था कि राज्यों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने हाल में राज्यों एवं केद्रशासित प्रदेशों से इस साल के प्रारंभ में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर आंकड़ा मांगा था और यह सूचना एकत्र करके 13 अगस्त को मानसून सत्र के समाप्त हो जाने से पहले संसद में पेश किया जाना था.

बता दें राज्यसभा में 20 जुलाई को जब प्रश्न किया गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से सड़कों एवं अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोविड-19 मरीजों की मौतें हुई, तब उसके लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है.
तब पवार ने कहा था, ‘मौतों की रिपोर्ट करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किये गये हैं. उसी के अनुसार राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश नियमित आधार पर मामलों एवं मौतों का रिपोर्ट करते हैं. लेकिन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार कोई भी मौत सिर्फ ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई.

 

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