आसान नहीं था काशी विश्वनाथ धाम का सपना

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं. दिखने और सुनने में भव्य लगने वाली इस परियोजना पर काम करना अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ और वे बताते हैं कि कागज पर तैयार हुई काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को वास्तविकता का रूप देने में कई चुनौतियां आईं. इनमें एक से ज्यादा मालिकों वाली संपत्तियों के अधिकार हासिल करना, मणिकर्णिका घाट पर अंतिम क्रियाएं करने वाले 37 परिवारों की व्यवस्था करने जैसी कई बातें शामिल रहीं.
वाराणसी आयुक्त दीपक अग्रवाल बताते हैं, ‘क्षेत्र में घनी व्यवस्था को देखते हुए एक समय पर इस प्रोजेक्ट को असंभव माना जा रहा था. संपत्तियों पर कब्जा करने और उन्हें खत्म करने के दौरान हमें कम से कम 40 पुराने मंदिर मिले. वे सभी मंदिर आसपास हुए निर्माण के बीच दब गए थे और लोगों ने इनके ऊपर किचन, बाथरूम और कई सारी चीजें बना ली थीं.’
वे कहते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती उन संपत्तियों पर कब्जा हासिल करना था, जो गंगा घाट से मंदिर तक कॉरिडोर के रास्ते में आ रही थीं. अग्रवाल ने कहा, ‘लोगों ने आस्था और पारदर्शी और आकर्षक आर्थिक पैकेज के चलते संपत्तियां दीं.’ इसका उदाहरण है, यहां प्रोजेक्ट के लिए तैयार किए गए बोर्ड ने कुल 314 घर या इकाइयां खरीदी थीं. इस काम में 390 करोड़ रुपये खर्च हुए. इनमें से 37 संपत्तियां ट्रस्ट या उन लोगों के पास थीं, जिनके पास भगवान के संरक्षण का अधिकार था.
अग्रवाल ने कहा कि 37 परिवारों के तार मणिकर्णिका घाट से जुड़े थे, जिन्हें आर्थिक सामाजिक स्थिति को देखते हुए ज्यादा मुआवजा दिया गया. आगे, उस इलाके में रहने वाले करीब 1400 लोगों के पुनर्वास पर 70 करोड़ रुपये खर्च हुए. उन्होंने जानकारी दी कि अतिक्रमण करने वालों को भी मालिकों की तरह माना गया और उन्हें उसी हिसाब से मुआवजा दिया गया.
अग्रवाल बताते हैं, ‘हमने सभी मालिकों के साथ आपसी बातचीत की प्रक्रिया शुरू की. यह कहने में आसान था. कई संपत्तियों के एक से ज्यादा मालिक थे और कुछ विदेश में रह रहे थे. एक संपत्ति के 17 मालिक थे. यह एक मुश्किल काम था. एक और बड़ी मुश्किल किराएदारों से संपत्तियां खाली कराना थीं, जो बहुत मामूली किराए पर रह रहे थे. हमने पुनर्वास अनुदान के साथ-साथ एक बार में ही निपटान की प्रक्रिया को अपनाया.’
आयुक्तालय में एक अस्थाई रजिस्ट्रेशन ऑफिस तैयार किया गया. प्रोजेक्ट के लिए जरूरी सभी संपत्तियों को हासिल करने के बाद अधिकारियों के पास भीड़ वाले इलाकों में गिराने का भी एक मुश्किल काम था. अग्रवाल ने कहा, ‘खच्चरों की मदद से मलबे को उठाने के साथ यह प्रक्रिया पूरी तरह मैनुअल थी.’ संपत्तियों को गिराने के दौरान अधिकारियों ने 40 प्राचीन मंदिरों की खोज की. उन्होंने बताया, ‘पहले छिपे हुए सदियों पुराने मंदिर अब नजर आ रहे हैं, उनका संरक्षण किया जाएगा और लोगों के लिए खोला जाएगा.’
अग्रवार ने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से साफ निर्देश थे कि प्रोजेक्ट का काम किसी भी विवाद के बगैर पूरा होना चाहिए. उन्होंने बताया, ‘ऊपर से आए निर्देशों के अनुसार, हमें इस प्रोजेक्ट को शांति औऱ बातचीत के जरिए पारदर्शिता के साथ तैयार करना था.’ उन्होंने बताया कि यह परियोजना इसलिए मुकदमेबाजी से मुक्त है.