आलीशान भवनों में से एक होगा नया संसद भवन

नई दिल्ली। इस प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण होगा। माना जा रहा है कि ये संसद भवन दुनिया के सबसे आलीशान भवनों में से एक होगा। सरकार का कहना है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त है, साथ ही मौजूदा संसद भवन भूकंप के लिहाज से भी सुरक्षित नहीं है। लिहाजा नए संसद भवन और नए परिसर की जरूरत है।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों का पुनर्निमाण/पुनर्विकास किया जाना है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को पुन: विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही नए आवासीय परिसर का भी प्रस्ताव है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे, ताकि सभी मंत्रालय और विभाग समायोजित किया जा सके।
20 हजार करोड़ लागत
सेंट्रल विस्टा परियोजना की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से करीब एक हजार करोड़ रुपये नए संसद भवन के निर्माण पर खर्च होंगे। परियोजना के 2024 में पूरा होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद भवन परिसर का शिलान्यास किया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 20 हजार करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पैसे की बर्बादी नहीं है, बल्कि इससे पैसों की बचत होगी।
सालाना एक हजार करोड़ की बचत
इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल 10 इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराये पर खर्च होते हैं। साथ ही इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा। सेंट्रल विस्टा में 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे। अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं। मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से भूमिगत रूप से जोड़ा जाएगा और राष्ट्रपति भवन के करीब प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का निवास बनेगा। अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं।
नया संसद भवन
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहा नया संसद भवन 64,500 वर्गमीटर में फैला होगा। इसे बनाने में कुल 971 करोड़ का खर्च आएगा। इसका निर्माण कार्य अगस्त, 2022 यानी देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक पूरा होने की उम्मीद है। नया भवन त्रिभुज आकार का होगा।
888 लोकसभा सदस्य बैठ सकेंगे
नए संसद भवन में 888 लोकसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी। संयुक्त सत्र में इसे 1224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा। राज्यसभा के सदन में कुल 384 सदस्य बैठ सकेंगे और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें भी जगह बढ़ाने का विकल्प रखा जाएगा। वर्तमान में लोकसभा सदन में कुल 543 सदस्य बैठ सकते हैं, वहीं राज्यसभा में कुल 245 सदस्य। वर्तमान संसद भवन को मॉडर्न कम्युनिकेशन और भूकंपरोधी सुरक्षा व्यवस्था के साथ अपग्रेड नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे इस 93 साल पुराने भवन को नुकसान पहुंच सकता है। वर्तमान संसद भवन ब्रिटिशों के जमाने में बना था, जिसका शिलान्यास 1921 में हुआ था।
प्रोजेक्ट की मौजूदा स्थिति
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के लिए भूमिपूजन किया था। मौजूदा समय में राजपथ और उसके आसपास की सड़कों से पेड़ों को हटाया जा रहा है। इन पेड़ों को हटाने के लिए बड़ी-बड़ी क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, इन पेड़ों को दिल्ली के ही दूसरे इलाकों में ट्रांसप्लांट किया जाएगा। केंद्रीय सचिवालय के बस टर्मिनल को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। डीडीए की ओर से बस टर्मिनल के लैंड यूज के बदवाल को मंजूरी दे दी गई है।
एक तरह के आकार वाले भवनों में साथ-साथ होंगे सभी मंत्रालय
संसद भवन के साथ ही राजधानी के विभिन्न हिस्सों में फैले मंत्रालय के भवनों, केंद्रीय सचिवालय और मंत्रालयों से जुड़े दफ्तरों को भी एक स्थान पर लाया जाएगा। साउथ ब्लॉक, नार्थ ब्लॉक, रेल भवन, उद्योग भवन, कृषि भवन, शास्त्री भवन से लेकर आसपास के क्षेत्र में विभिन्न मंत्रालय बने हुए हैं। सरकार की कोशिश इसी क्षेत्र में मौजूदा भवनों की जगह अत्याधुनिक एक ही आकार के भवन बनाने की है, जिसमें सभी मंत्रालय काम कर सकें। साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक तो भूकंपरोधी भी नहीं है। अन्य भवनों में एकरूपता नहीं है। तार लटके रहते हैं, पानी टपकता रहता है, प्लास्टर गिर रहा है, कई दिक्कतें हैं। कई दफ्तर तो निजी इमारतों में हैं। सरकार सालाना 1000 करोड़ रुपये का किराया निजी भवनों के इस्तेमाल का दे रही है।
संयुक्त केंद्रीय सचिवालय की तैयारी
एक संयुक्त केंद्रीय सचिवालय को भी बनाने की तैयारी है, जिसमें सारे दफ्तर एक ही जगह हों, भले ही उनके भवन अलग-अलग हों, लेकिन आसपास ही हों। इससे बेहतर समन्वय किया जा सकेगा। अभी लगभग 47 मंत्रालयों और विभागों के दफ्तरों में लगभग 70 हजार अधिकारी और कर्मचारी काम करते हैं।
कब-कब क्या हुआ
सितंबर, 2019 : सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी।
11 फरवरी, 2020 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीडीए से कहा कि वह परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को अधिसूचित करने से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाए।
28 फरवरी : दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीडीए, केंद्र की एक अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी।
17 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय मंजूरी और भूमि उपयोग सहित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली कई याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई शुरू की।
5 नवंबर : उच्चतम न्यायालय ने परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा।
7 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए शिलान्यास समारोह आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन निर्माण शुरू करने पर रोक लगा दी।
10 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी।
5 जनवरी, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया।