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आया था दुनिया का सबसे विनाशकारी भूकंप(earthquake)

सबसे बड़े भूकंप : मानव इतिहास में अब तक के सबसे बड़े भूकंप का पता चला है. इस खतरनाक भूकंप (earthquake) की तीव्रता रिएक्टर स्कैल पर 9.5 थी. इस विनाशकारी भूकंप का कारण नाज़का और दक्षिण अमेरिकी टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टकराव था. जिसके परिणामस्वरूप 49 से 66 फीट ऊंची सुनामी लहरें आईं और 8 हजार किलोमीटर तक सुनामी आई थी. यह विनाशकारी भूंकप लगभग 3,800 साल पहले चिली में आया था, जिसने 66 फीट ऊंची लहरों को जन्म दिया.
स्वरूप 49 से 66 फीट ऊंचीसुनामी लहरें आईं और 8 हजार किलोमीटर तक सुनामी आई थी.
मानव इतिहास में अब तक के सबसे बड़े भूकंप को लेकर खुलासा हुआ है. एक नई स्टडी में पता चला है कि इस खतरनाक भूकंपकी तीव्रता रिएक्टर स्कैल पर 9.5 थी. चिली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिएगो सालाजार ने इस बारे में एक रिसर्च की है. इस विनाशकारीभूकंप का कारण नाज़का और दक्षिण अमेरिकी टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टकराव था. जिसके परिणामस्वरूप 49 से 66 फीट ऊंचीसुनामी लहरें आईं और 8 हजार किलोमीटर तक सुनामी आई थी.

यह विनाशकारी भूंकप लगभग 3,800 साल पहले चिली में आया था, जिसने 66 फीट ऊंची लहरों को जन्म दिया और चिली केअटाकामा रेगिस्तान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जो दुनिया का सबसे शुष्क रेगिस्तान भी है. इस स्टडी को पूरा होने में लगभग 7 साललगे और यह पता लगाया गया कि प्राचीन काल में इस तरह की आपदाओं ने इस क्षेत्र को कितनी बार प्रभावित किया.
इस भयानक भूंकप के सबूत समुद्री और तटीय चीजों जैसे तट पर जमा पत्थर, कंकड और रेत दिखाई देते हैं. शोधकर्ताओं का कहनाहै कि ये सभी सबूत चिली के अटाकामा रेगिस्तान में मिले हैं. इनका पता लगाने के लिए रिसर्चर्स ने रेडियो कार्बन डेटिंग पद्धति का इस्तेमाल किया.

इससे पहले अब तक का रिकॉर्ड किया गया भूकंप 1960 में आया वाल्डिविया में था. इसकी तीव्रता 9.4 से 9.6 के बीच थी. दक्षिणी चिली में आए इस भूकंप के कारण 6 हजार लोग मारे गए थे और इसके कारण प्रशांत महासागर में बार-बार सुनामी आई थी. दरअसल ऐसे भूकंप तब आते हैं जब पृथ्वी की एक टेक्टोनिक प्लेट एक-दूसरे के ऊपर नीचे हो जाती हैं.

पुरातत्वविद डिएगो सालजार ने कहा कि, हमारा मानना है कि इस विनाशकारी भूकंप में बहुत बड़ी संख्या में जानें ली होंगी. या फिर,इसके कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए होंगे और अन्य जगहों पर जाकर बस गए होंगे. वैज्ञानिक अनुमान के मुताबिक इसभूंकप के बाद करीब 1 हजार साल तक लोगों को समुद्री तटों से दूर रहना पड़ा.

 

 

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