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सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल !!

दिल्ली सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा 2020 के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। सरकार ने कहा कि लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश कर दी गई है।

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ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष सरकार

मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष सरकार ने एक जनहित याचिका के जवाब में यह जानकारी दी है। याचिका में सरकार को एक माह के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति करने का आदेश देने की मांग की है। राजधानी में दिसंबर, 2020 से ही लोकायुक्त का पद खाली है। सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने पीठ को बताया कि लोकायुक्त के पद नियुक्ति के लिए 10 फरवरी को बैठक हुई और इसके बाद एक नाम की सिफारिश कर दी गई है। उन्होंने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही पूरा होगा। सरकार के इस बयान के बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है। याचिका में दावा किया गया है दिसंबर, 2020 में लोकायुक्त रूप में जस्टिस रेवा खेत्रपाल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने आज तक इस पद को भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जबकि सैकड़ों शिकायतें लोकायुक्त में लंबित है।

याचिका में कहा गया ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार नियामक संस्था लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर गंभीर नहीं है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी संपत्ति, कर चोरी, मुनाफाखोरी और अन्य आर्थिक के साथ-साथ सफेदपोश अपराधों के खतरे को खत्म करने के लिए कदम नहीं उठा रही है।

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